नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने 1 फरवरी को आम बजट पेश कर दिया है. लोकसभा और राज्यसभा में अब बजट को लेकर चर्चा होगी. लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने पहुंचे कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बजट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार का फर्ज होता है आमलोगों को सुविधा मुहैया करवाना, लेकिन ये सरकार जेबकटुआ सरकार बन गई है हमारे जेब से 1000 लेकर हमें 200 देती है. ऐसा दिखाती है जैसे हम पर दान किया जा रहा है जबकि ये हमारा हक है.
Advertisement
Advertisement
बजट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि ये दान और दानी का स्वरूप जो सरकार दिखा रही है उसे समझना चाहिए कि हम हिंदुस्तान के नागरिक हैं प्रजा नहीं, और जो चवन्नी सरकार देती है उसमें भी ढिंढोरा पीटती है.
वहीं बजट को लेकर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने कहा कि इस बजट से किसे फायदा हुआ है? निश्चित रूप से, गरीब को नहीं, नौकरी की तलाश कर रहे युवा को नहीं, नौकरी से निकाले जाने वाले युवा को नहीं, करदाता को नहीं और गृहिणी को भी नहीं. वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहीं भी बेरोजगारी, गरीबी, असमानता या समानता जैसे शब्दों का जिक्र नहीं किया. बजट से पता चलता है कि सरकार लोगों की आजीविका, उनकी चिंताओं, अमीर और गरीब के बीच बढ़ती असमानता के बारे में परवाह नहीं करती है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पेश किया गया आम बजट निराशाजनक है. इसमें दूरदृष्टि का अभाव है. हर वर्ष बजट की प्राथमिकताएं बदल दी जाती हैं, जो फोकस और निधि के अभाव में पूरी नहीं हो पा रही हैं. बिहार को इस बजट से निराशा हाथ लगी है. समावेशी विकास के तहत बिहार सरकार ने केन्द्रीय बजट (2023-24) में वित्त मंत्रियों की बैठक में राज्य के लिए 20,000 करोड़ रूपये के स्पेशल पैकेज की मांग की थी जिसे बजट में नहीं दिया गया है. युवाओं के लिये रोजगार सृजन को लेकर बजट में कोई खाका दिखाई नहीं दे रहा है.
विपक्ष ने किया हंगामा, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित
Advertisement