रामचरितमानस को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से हंगामा मचा हुआ है. उनके बयान पर हर दिन राजनीतिक बयानबाजी हो रही है. भाजपा के साथ ही साथ अन्य दल समाजवादी पार्टी के नेता की आलोचना कर रहे हैं. इस बीच विवाद पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि इस मुद्दे पर चर्चा करना गलत है. हमें रामचरितमानस के मूल तत्व को समझना होगा.
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एक रिपोर्टर के सवाल के जवाब में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा, “देखिए, रामायण की बात है, राम की बात है… आप राम को किसी भी रूप में देख सकते हैं,” मारा-मारा कहें या राम-राम, इससे क्या फर्क पड़ता है. मनचाहे नाम के साथ आप जाप कर सकते हैं.
दो-चार चौपाई से कोई फर्क नहीं पड़ता
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बयान में आगे कहा कि अगर कोई विरोध में भी बोलता है तो उसका (राम) नाम है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के सकारात्मक पहलू हैं जिन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए. भूपेश बघेल ने कहा कि इस मामले को लेकर चर्चा करना गलत है. अच्छी बातों को स्वीकार करें. दो-चार चौपाईयों से कोई फर्क नहीं पड़ता. उसके मूल तत्व को समझना बहुत जरूरी है… हर चीज सबके लिए उपयुक्त नहीं होती.
कहां से शुरू हुआ पूरा रामचरितमानस विवाद?
कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ चौपाईयों पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि जो धर्म आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और महिलाओं का विरोध करता है, शूद्रों के विनाश की बात करता है, उसे नष्ट कर देना चाहिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी कहा कि रामचरितमानस के कुछ चौपाईयों में ‘तेली’ और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है और इससे लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस के आपत्तिजनक हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
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