देश में बढ़ती महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की चिंता बढ़ गई है. देश के केंद्रीय बैंक ने संकेत दिया है कि वह आने वाले दिनों में महंगाई को काबू में रखने के लिए रेपो रेट में एक बार और बढ़ोतरी कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो कर्ज लेने वालों की मासिक किस्त (ईएमआई) पहले ज्यादा बढ़ जाएगी. पिछले 10 महीनों के दौरान, रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 2.50% की वृद्धि कर चुकी है.
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रिजर्व बैंक ने अपनी फरवरी की बैठक में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. इससे महंगाई की दर तो काबू में आ गई लेकिन लोगों की ईएमआई बढ़ गई. अब एक बार फिर जब महंगाई दर बढ़कर 6.52 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है. हाल ही में एक बैठक में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए थे. दास ने कहा कि जिस तरह से महंगाई फिर से बढ़ रही है, उसे देखते हुए ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आने वाले दिनों में रेपो रेट में वृद्धि की जा सकती है.
जैसे ही RBI रेपो रेट बढ़ाता है, इसका सीधा असर बैंक लोन की ब्याज दर पर पड़ता है. जैसे-जैसे आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि करती जा रही है बैंक भी अपनी उधार दरें बढ़ाते हैं. इससे होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन लेने वालों की मासिक ईएमआई भी बढ़ जाती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए सिर्फ एक ही विकल्प रेपो रेट में वृद्धि है? या फिर केंद्र की मोदी सरकार महंगाई से निपटने के लिए किसी ठोस कदम भी उठा सकती है. लेकिन जिस तरीके से आरबीआई लगातार रेपो रेट बढ़ा रही है उसे देखकर कहा जा सकता है कि सरकार ने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.
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