मुंबई: उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट एक बार फिर आमने-सामने हैं, लेकिन इस बार न तो किसी ने पार्टी छोड़ी है और न ही कोई एक-दूसरे के गुट में शामिल हुआ है. दरअसल आज 19 जून को उद्धव और शिंदे दोनों ही शिवसेना का स्थापना दिवस मनाने वाले हैं. सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना गोरेगांव के नेस्को मैदान में कार्यक्रम आयोजित करेगी. वहीं, मध्य मुंबई के सायन में शिवसेना (UBT) कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. इसको लेकर पोस्टर वॉर शुरू हो चुका है. शिंदे ग्रुप ने कलानगर इलाके में पोस्टरबाजी की है. यह वही इलाका है जहां उद्धव ठाकरे का आवास मातोश्री स्थित है. इलाके में लगे पोस्टरों में कहा गया है कि शेरों की लीग अब चली गोरेगांव.
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चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग ने आदेश दिया था कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का प्रतीक धनुष और तीर एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा. आयोग के मुताबिक शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है. आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से भी उनको झटका ही लगा था.
कोर्ट ने ठाकरे को राहत देने से किया इनकार
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है. इसके अलावा गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी.
कैसे शुरू हुई राजनीतिक लड़ाई?
2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया था. शिवसेना ने दावा किया कि भाजपा मुख्यमंत्री पद साझा करने के अपने वादे से पीछे हट गई है. जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन का गठन किया था, इस गठबंधन के खिलाफ एकनाथ शिंदे ने विद्रोह किया और सरकार गिरा दी. उसके बाद उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बना चुके हैं और पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह भी अब उनके नाम हो गया है.
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