दिल्ली: मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्ष की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है. लेकिन अभी तक चर्चा के लिए तारीख की ऐलान नहीं की गई है. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसके बाद 50 से अधिक सांसदों ने इसका समर्थन किया. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इससे सरकार नहीं गिरेगी.
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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के मुताबिक यह कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव नहीं बल्कि I.N.D.I.A के घटक दलों द्वारा सामूहिक तौर पर लाया गया है. पिछले 83-84 दिनों से मणिपुर में जो स्थिति बनी हुई है उस पर क़ानून-व्यवस्था चरमरा गई है, समुदाय के बीच विभाजन हो गया है. वहां सरकार नाम की चीज़ नहीं रह गई है. इन तथ्यों ने हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर किया है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि I.N.D.I.A के घटक दलों की सामूहिक मांग है कि सभी काम को एक तरफ रखते हुए इस प्रस्ताव पर फौरन चर्चा की जाए. सवाल संख्या का नहीं बल्कि नैतिकता का है. बुनियादी सवाल यह है कि जवाबदारी किस की है. सदन में जब इस पर मतदान होगा तब नैतिकता की कसौटी पर कौन कहां खड़ा है. सवाल राष्ट्र की सुरक्षा का है.
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हमारी मांग थी कि प्रधानमंत्री खुद आकर बोले, पता नहीं क्यों प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे हैं. हमें मजबूरन अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा. ये हमारी मजबूरी है. हम जानते हैं कि इससे सरकार नहीं गिरेगी, पर हमारे पास कोई चारा नहीं है. देश के प्रधानमंत्री देश के सामने आकर मणिपुर पर कोई वार्ता करें.
आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने इस मामले को लेकर कहा कि आज टीम I.N.D.I.A. के विरोध प्रदर्शन का चौथा दिन है और हम मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में आना चाहिए और मणिपुर मुद्दे पर बोलना चाहिए. मणिपुर जल रहा है और लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी I.N.D.I.A. की तुलना आतंकवादी समूहों से कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह 2024 में सत्ता में आएंगे. उन्हें कम से कम कुछ संवेदनशीलता दिखानी चाहिए.
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