इस बार प्याज नहीं बल्कि टमाटर लोगों की आंखों में आंसू ला रहा है. देश के कई शहरों में टमाटर के दाम 100 रुपये के पार पहुंच गए हैं. दिल्ली में कई जगहों पर टमाटर की कीमत 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. बाजार में घटिया क्वालिटी का टमाटर ही 100 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. आलू, प्याज और टमाटर देश की प्रमुख सब्जियां हैं. इनकी कीमतों में वृद्धि सरकारों की चिंता बढ़ा देती है क्योंकि इसका सीधा असर आम आदमी के जीवन पर पड़ता है. रिसर्च फेलो रंजना रॉय और जाने-माने प्रोफेसर अशोक गुलाटी के शोध के अनुसार, किसान पिछली फसल के लिए प्राप्त कीमत के आधार पर टमाटर लगाते हैं. अप्रैल-मई में टमाटर की कीमत किसानों को अच्छी नहीं मिली थी, जिसकी वजह से टमाटर की खेती से परहेज किया. इसी वजह से आज टमाटर की कीमत आसमान छू रही है.
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देश में टमाटर पूरे साल उगाया जाता है. इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात में की जाती है. देश में टमाटर की कुल खेती का 46 प्रतिशत इन्हीं राज्यों में होता है. भारत दुनिया में टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन देश में प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है. 2021-22 में यह 24.4 टन प्रति हेक्टेयर था जबकि चीन में यह 58.4 टन प्रति हेक्टेयर है. इसका वैश्विक औसत 37 टन प्रति हेक्टेयर है. टमाटर दुनिया भर में ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस में उगाए जाते हैं लेकिन भारत में अभी भी इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जाना बाकी है.
कैसे गिरेगी कीमत?
सरकार ने टमाटर, प्याज और आलू की मूल्य श्रृंखला में सुधार के लिए 2018-19 में ऑपरेशन ग्रीन्स शुरू किया था. इसका उद्देश्य किसानों को टमाटर, प्याज और आलू के लिए उचित मूल्य प्रदान करना, घाटे को कम करना और कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकना था. इस योजना को शुरू हुए चार साल हो गए हैं लेकिन इन सब्जियों की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव हो रहा है. मई 2022 में टमाटर की खुदरा कीमत वार्षिक 135.6% बढ़ी थी, जबकि जून 2022 में यह 158.6% अधिक थी. जुलाई 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति में टमाटर की सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी.
रॉय और गुलाटी के मुताबिक सरकार कुछ उपाय करके टमाटर की कीमत पर काबू पा सकती है. कम से कम 10 फीसदी टमाटर की प्यूरी बनानी चाहिए ताकि टमाटर के दाम बढ़ने पर लोग इसका इस्तेमाल कर सकें. इससे किसानों को भी मदद मिलेगी. प्यूरी पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया जाना चाहिए. इसके साथ ही बिचौलियों की भूमिका को कम करने के लिए प्रत्यक्ष विपणन, अनुबंध खेती और निजी बाजार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. इससे उपभोक्ता के लिए लागत भी कम होगी. इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बाजार संरचना में सुधार होगा और फसल का नुकसान कम होगा. इसके साथ ही देश में टमाटर की खेती में पॉलीहाउस को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. इससे देश में टमाटर की खुदरा कीमत कम करने में मदद मिलेगी.
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