इसी साल 3 मई को मणिपुर में आरक्षण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी. जिसके चलते पूरा प्रदेश अब तक हिंसा की आग में जल रहा है. अधिकारियों के मुताबिक मणिपुर के पांचों घाटी जिले में एहतियाती उपाय के तौर पर मंगलवार शाम से ही एक बार फिर पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है. इतना ही नहीं इन जिलों में दी जा रही राहत को भी रद्द कर दी गई है.
Advertisement
Advertisement
कर्फ्यू क्यों लगाया?
कॉर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रेशन और उसकी महिला शाखा की घोषणा के मद्देनजर इन पांच जिलों में कर्फ्यू की घोषणा की गई है. इन पांच जिलों में बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल पश्चिम और इंफाल शामिल हैं. COCOMI की महिला शाखा ने विष्णुपुर और चुराचांदपुर जिले के बीच बफर जोन का काम कर रही आर्मी की पोस्ट को हटाने की मांग कर रहा है, और आर्मी की पोस्ट को हटवाने के लिए विष्णुपुर जिले चलने का आह्वान किया है. इस ऐलान के बाद इन जिलों में पहले दी गई कर्फ्यू में छूट रद्द कर दी गई है. इस घोषणा के चलते हिंसा दोबारा न भड़के और हालात न बिगड़ें इसी उद्देश्य से सुरक्षा बलों को कमान सौंपी गई है.
अब तक 160 से ज्यादा मौतें
आरक्षण को लेकर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच 3 मई को भड़की हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 6 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. राहत के लिए बनाए गए राहत शिविर में 50 हजार से ज्यादा लोगों को आश्रय मिल रहा है. इस हिंसा के दौरान 5 हजार से ज्यादा आगजनी की घटनाएं हुई हैं. छह हजार से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं और 144 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. फिलहाल मणिपुर में 36,000 सुरक्षाकर्मी और 40 अधिकारी तैनात किये गये हैं.
मणिपुर की लगभग 53% आबादी मैतेई है और ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहती है, जबकि 40% आदिवासी हैं, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
G20 में क्यों नहीं आएंगे पुतिन और जिनपिंग, जानिए विदेश मंत्री जयशंकर ने क्या दिया जवाब?
Advertisement