लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश कर दिया है, संभावना जताई जा रही है कि आज दिनभर चर्चा के बाद यह बिल पास हो जाएगी. लेकिन वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन कानून को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. एसपी नेता ने कहा है कि बीजेपी ने इस मुद्दे पर ‘बड़ा झूठ’ बोला है.
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महिला आरक्षण बिल को लेकर अखिलेश ने उठाए कई सवाल
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोले हैं. उन्होंने कहा कि नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है. जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएंगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी.
इसके अलावा उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है. ये आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी.
डिंपल यादव ने भी लोकसभा में केंद्र को घेरा
लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सपा सांसद और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने बोलते हुए कहा कि सपा की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए. लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं? आने वाले चुनाव में यह लागू हो पाएगा की नहीं और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ये लागू हो पाएगा की नहीं? सवाल ये भी है कि जनगणना कब होगा और परिसीमन कब होगा?
मायावती ने क्या कहा?
उधर, इस बिल पर बहुजन समाज पार्टी ने भी केंद्र के सामने अपनी मांग रखी है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा. इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा. सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा. जनगणना में काफी समय लगता है, इसके बाद ही यह बिल लागू होगा. इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है.
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