गुजराती में जेतपुर की-वर्ड को गूगल पर डालते हैं और मध्य गुजरात के पावी जेतपुर की जानकारी सामने आ जाती है. राजकोट के पास जेतपुर हाल तक जेतपुर (काठी) के नाम से जाना जाता था. वाला वंश के काठी क्षत्रियों का यह राज्य बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन अपने शानदार शासकों के कारण इसे आजादी से पहले प्रभावशाली माना जाता था. जेतपुर के वाला क्षत्रियों के वंशजों ने आगे जाकर बिल्खा, चूड़ा जैसी उपाधियां अर्जित की. लोककथाओं के माध्यम से किंवदंती बने चांपराज वाला जेतपुर के रहने वाले थे. आजादी के बाद साड़ी छपाई और रंगाई के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान रखने वाला जेतपुर उम्मीद के मुताबिक विकसित नहीं हुआ है लेकिन फिर भी अपनी उद्यमशीलता के कारण इसमें काफी संभावनाएं हैं.
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मिजाज
यह सीट लगभग चार दशकों से भाजपा का गढ़ रही है और इसका श्रेय भाजपा के दिवंगत दिग्गज नेता सवजीभाई कोराट को जाता है. जेतपुर ने सबसे पहले भाजपा का स्वागत किया जब भाजपा शहरी क्षेत्रों में मुश्किल से पैर जमा रही थी और ग्रामीण इलाकों में अपनी पहचान स्थापित नहीं कर पाई थी. सवजीभाई खुद यहां से तीन बार विधायक बने और उनकी असामयिक मृत्यु के बाद उनकी पत्नी जसुबेन ने भी तीन बार इस सीट से कामयाबी हासिल की थी. उसके बाद दिग्गज नेता विठ्ठल रादडिया का युग शुरू हुआ. जयेश रादडिया यहां से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर भाजपा के गढ़ में सेंध लगा दिया था. लेकिन कुछ समय बाद भाजपा ने विठ्ठल और जयेश रादडिया को अपने खेमे में शामिल कर गढ़वी बदलकर गढ़ बचा लिया था.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 सवजीभाई कोराट भाजपा 32,088
2002 जसुबेन कोराट भाजपा 16,230
2007 जसुबेन कोराट भाजपा 12,193
2012 जयेश रादडिया कांग्रेस 17,862
2013 जयेश रादडिया भाजपा 52,906
2017 जयेश रादडिया भाजपा 25,581
कास्ट फैब्रिक
इस क्षेत्र में लगभग 45-48% पाटीदार हैं, जिनमें लेउवा पाटीदारों का एक महत्वपूर्ण अनुपात है. 1962 से अब तक के सभी चुनाव यहां लेउवा पटेल उम्मीदवारों ने जीते हैं. संख्या के मामले में 15-17% के साथ दलित समुदाय दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा 7% कोली और 5% काठी समुदाय के हैं. इनमें से प्रत्येक समुदाय को पालिका, पंचायत के चुनाव में जगह मिलती है लेकिन विधानसभा चुनाव में प्रत्येक पार्टी को केवल पाटीदार को चुनना होता है. कांग्रेस ने यहां कोली, दलित और क्षत्रिय समीकरण स्थापित करने की बहुत कोशिश की, लेकिन पाटीदार मतदाताओं की एकता के सामने ये प्रयास सफल नहीं हुआ. साथ ही यहां पाटीदार के खिलाफ समीकरण बनाने की कोशिशों का पड़ोस के धोराजी सहित राजकोट की सीटों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
समस्या
जेतपुर क्षेत्र में कृषि, व्यापार और रंगाई उद्योग तीन मुख्य व्यवसाय हैं. तीनों क्षेत्रों में भारी समस्या है. रंगाई उद्योग कोरोना के बाद काफी मुश्किल में हैं, जीएसटी को लेकर खासा असंतोष है. भूमि उपजाऊ है लेकिन कृषि पूरी तरह से सिंचाई पर निर्भर है और बिजली की समस्या अभी भी अनसुलझी है. नगर नियोजन का काम भी यहां दिखाई नहीं देता. नतीजा यह रहा कि राजकोट-जूनागढ़ हाईवे पर होने के बावजूद जेतपुर शहर का खास विकास नहीं हो सका. स्थानीय धारणा है कि राजनीतिक दल उम्मीदवार को जिताने के लिए जिस तरह मेहनत करते हैं उस तरह की मेहनत जेतपुर के विकास के लिए नहीं करते हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
दिग्गज पाटीदार नेता दिवंगत विठ्ठल रादडिया के बेटे जयेश रादडिया इस निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार के विधायक हैं. इलाके में अपना नाम बना चुके जयेशभाई का सहकारिता क्षेत्र में खासा दबदबा है. लेकिन चूंकि पिछले कुछ सालों से विरोधी लॉबी के चलते उनका मंत्री पद छिन गया है. उसके बाद अब विधायक का पद भी खतरे में माना जा रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री के आज उनके गांव जामकंडोरणा के दौरे के बाद रादडिया का टिकट फिक्स बताया जा रहा है. लेकिन बीजेपी में आखिरी वक्त तक कार्ड बदलने की पूरी संभावना है. अगर रादडिया को टिकट दिया जाता है तो यह चुनाव हर चुनाव की तरह होगा. अन्यथा कुछ भी होने की संभावना जताई जा रही है.
प्रतियोगी कौन?
पिछले चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन पर सवार होकर, कांग्रेस ने इस निर्वाचन क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की थी. लेकिन रादडिया की व्यक्तिगत लोकप्रियता के चलते कांग्रेस को इसका कोई खास फायदा नहीं मिला था. हां चुनाव में रादडिया के जीत के मार्जिन पर असर पड़ा था. लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार को मुंह की खानी पड़ी थी. इस बार पाटीदार आंदोलन नहीं है, लेकिन अगर कांग्रेस रंगाई उद्योग और किसानों के मुद्दों को उठाती है, तो कांग्रेस को चुनावी माहौल बनाने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
तीसरा कारक
चूंकि लेउवा पाटीदार का गढ़ है, इसलिए आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने यहां पैर जमाने के लिए कड़ी मेहनत की है. आप द्वारा पाटीदार अनामत आंदोलन समीति के साथ चर्चा करने के बाद विपुल सखिया को धोराजी सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया है, इसी तर्ज पर संभावना है कि आम आदमी पार्टी एक-दो हफ्ते में जेतपुर के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर देगी. लेकिन इससे चुनावी नतीजों पर कोई खास प्रभाव पड़ने की संभावना कम ही जताई जा रही है.
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