दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि गृह मंत्रियों का ये चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक उत्तम उदाहरण है. हर एक राज्य एक दूसरे से सीखे, एक दूसरे से प्रेरणा लें, देश बेहतरी के लिए काम करे, ये संविधान की भी भावना है और देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि आने वाले 25 साल देश में एक अमृत पीढ़ी के निर्माण के हैं ये अमृत पीढ़ी, पंच प्राणों के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी. विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता-एकजुटता और नागरिक कर्तव्य इन पंच प्राणों का महत्व आप सभी जानते हैं. जब देश का सामर्थ्य बढ़ेगा तो देश के हर नागरिक, हर परिवार का सामर्थ्य बढ़ेगा. यही तो सुशासन है, जिसका लाभ देश के हर राज्य को समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना है. इसमें आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है.
उन्होंने आगे कहा कि आज NDRF के लिए देशवासियों के मन में कितना सम्मान है. आपदा के समय जैसे ही NDRF-SDRF की टीम पहुंचती है, वैसे ही लोगों को संतोष होने लगता है कि अब एक्सपर्ट पहुंच गए हैं, अब ये अपना काम कर लेंगे. अपराध वाली किसी भी जगह पर जैसे ही पुलिस पहुंचती है, लोगों में ये भाव आता है कि सरकार पहुंच गई. कोरोना काल में भी हमने देखा कि किस तरह पुलिस की साख बेहतर हुई थी.
नई टेक्नोलॉजी पर काम करते रहना होगा
पीएम मोदी ने चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए आगे कहा कि साइबर क्राइम हो या फिर ड्रोन टेक्नोलॉजी का हथियारों और ड्रग्स तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई टेक्नोलॉजी पर काम करते रहना होगा. स्मार्ट टेक्नोलॉजी से कानून-व्यवस्था को स्मार्ट बना पाना संभव होगा. बीते वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े सुधार हुए हैं जिसने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने का काम किया है. बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों ने भी देश में कानून व्यवस्था को मजबूत किया है.
इसके अलावा पीएम ने अपने संबोधन में आगे कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना, एक 24/ 7 वाला काम है लेकिन किसी भी काम में ये भी आवश्यक है कि हम निरंतर प्रक्रियाओं में सुधार करते चलें, उन्हें आधुनिक बनाते चलें. आज वैश्विक स्तर पर भारत जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से भारत की चुनौतियां भी बढ़ने वाली है, विश्व की बहुत सारी ताकतें होंगी, जो नहीं चाहेगी कि उनके देश के संदर्भ में भारत सामर्थ्यवान बने. देश के विरोध में जो ताकते खड़ी हो रही हैं जिस प्रकार हर चीज का उपयोग किया जा रहा है, सामान्य नागरिक की सुरक्षा के लिए, ऐसी किसी भी नाकारात्मक शक्तियों के खिलाफ कठोर से कठोर बर्ताव ही हमारी जिम्मेदारी है.
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