- आम आदमी पार्टी ने अब तक 108 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें से ये आठ उम्मीदवार गेम चेंजर हो सकते हैं
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर पहले से ही आक्रामक आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को उम्मीदवारों की एक और सूची की घोषणा की जिसके बाद कुल 108 सीटों के लिए AAP उम्मीदवारों की पुष्टि हो गई है. गुजरात विधानसभा की तमाम सीटों पर आप चुनाव लड़ेगी. लेकिन अधिकांश उम्मीदवार नए या पूरी तरह से अनजान चेहरे हैं या सार्वजनिक जीवन में कोई अनुभव नहीं है, इसलिए प्राथमिक धारणा यह है कि वे भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के दिग्गज नेताओं के खिलाफ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते है. हालांकि दिल्ली और पंजाब में भी उम्मीदवार नए, अज्ञात और अनुभवहीन थे लेकिन स्थानीय मतदाताओं ने आप के चुनाव चिह्न पर भरोसा किया था. गुजरात में भी ऐसा हो पाएगा या नहीं, यह तो नतीजे आने वाले दिन ही पता चलेगा. हालांकि अब तक घोषित नामों के अनुसार कुल दस सीटें ऐसी होंगी जहां आप का उम्मीदवार विजेता या गेम चेंजर साबित हो सकता है.
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‘माही सरपंच’ बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा पाएंगे?
खेड़ा जिले की मातर सीट हमेशा से ज्वाइंट किलर रही है. इससे पहले यहां नरहरि अमीन जैसे दिग्गज नेता को भाजपा के नए उम्मीदवार के रूप में देवूसिंह चौहान ने हराया था. आज देवूसिंह सांसद बन गए हैं और अब केंद्रीय मंत्री के रूप में भाजपा के शीर्ष नेता माने जाते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने विधानसभा सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार को चुनौती दी है. यहां आप के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले महिपत सिंह चौहान स्थानीय स्तर पर युवा कार्यकर्ता के रूप में माही सरपंच के रूप में काफी लोकप्रिय हैं. लवाल गांव के सरपंच के रूप में उन्होंने अपने गांव में आदर्श सुविधाओं का निर्माण किया है. उसके बाद उन्होंने ‘शिक्षा ही कल्याण’ संकुल के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों के गरीब, बेसहारा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का सफल प्रयोग किया है. शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले देश भर से कर्मशील यहां उनका प्रयोग देखने आते हैं. मातर सीट पर क्षत्रिय समुदाय के करीब 41 फीसदी मतदाता हैं. महिपत सिंह की यंग ब्रिगेड का गांव-गांव में नेटवर्क है. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी के लिए अपना गढ़ बचाए रखना बेहद मुश्किल होने वाला है.
विक्रम सोरानी भाजपा और कांग्रेस दोनों को प्रभावित करने में सक्षम
सुरेंद्रनगर जिले की वांकानेर सीट से आप के उम्मीदवार विक्रम सोरानी अपने गोल-मटोल चेहरे और मूंछों के लिए जाने जाते हैं. अखिल भारतीय कोली समाज के गुजरात क्षेत्रीय अध्यक्ष चुने गए विक्रम सोरानी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय और आदर्श नेता हैं. कोली समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने, गलत परंपराओं को खत्म करने, नशे की लत छुड़ाने के उनके प्रयासों को खूब सराहा गया है. 26 साल की उम्र में कोली समाज के एक सार्वभौमिक नेता के रूप में उभरे विक्रम सोरानी ने सामूहिक विवाहों को सफलतापूर्वक आयोजित करके अपनी क्षमता साबित की है. वांकानेर सीट पर कोली समुदाय का दबदबा है. पूरी संभावना है कि कांग्रेस विधायक मोहम्मद पीरजादा यहां से दोबारा चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी के दिग्गज नेता जीतू सोमानी उनके सामने हो सकते हैं. ऐसे में सोरानी यहां के दोनों दिग्गजों पर भारी पड़ सकते हैं इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
सबका गणित बिगाड़ सकती है ‘पैडवूमन’
पावी जेतपुर की आदिवासी आरक्षित सीट पर कांग्रेस की राठवा तिकड़ी का दबदबा माना जाता है. नारन राठवा, सुखराम राठवा और मोहन सिंह राठवा के दबदबे वाली इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने नई चुनौती खड़ी कर दी है. उसका नाम राधिका राठवा है, राधिका राठवा पूर्व सांसद अमरसिंह राठवा की बेटी हैं, जो युवा, शिक्षित और क्षेत्र में एक पैडवूमन के रूप में बहुत लोकप्रिय हैं. इसलिए राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत है. कुछ समय तक कांग्रेस के साथ सक्रिय रहने के बाद उन्होंने आदिवासी महिलाओं की समस्याओं के संबंध में महत्वपूर्ण कार्य किए है. सैनिटरी पैड के उपयोग के लिए इंटीरियर की अनपढ़ आदिवासी महिलाओं को जागरूक करने के उनके प्रयासों ने उन्हें एक पैडवूमन के रूप में राष्ट्रीय प्रमुखता प्रदान की है. अगर अनुभवी सुखराम राठवा इस सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो माना जा रहा है कि राधिका एक युवा, स्वच्छ और प्रगतिशील चेहरे के रूप में उन्हें प्रभावित करने में सक्षम है.
क्या तख्तसिंह जेठा भरवाड़ की गद्दी छीन सकते हैं?
तख्तसिंह सोलंकी, जो पहले सहेरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में भाजपा के दबंग नेता जेठा भरवाड़ से हार गए थे, ने अब पंजे को छोड़ दिया है और झाड़ू को उठा लिया. इस बार उनका जोर ग्रामीण इलाकों में खास माना जा रहा है. आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद, तख्त सिंह एक से अधिक बार निर्वाचन क्षेत्र के हर गांव का दौरा कर चुके हैं. स्थानीय जाति समीकरण भी उनके पक्ष में हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता जेठाभाई को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन जेठाभाई की आर्थिक ताकत के मुकाबले तख्तसिंह पिछड़ सकते हैं. लेकिन इतना तय है कि वो बीजेपी को इस सीट पर आसानी से जीत हासिल करने नहीं देंगे.
आप के राजू जीतू वाघानी का खेल बिगाड़ सकते हैं
आम आदमी पार्टी ने भावनगर पश्चिम की हाई प्रोफाइल सीट पर मांधाता सेना के नेता राजू सोलंकी को मैदान में उतारा है. राजूभाई लंबे समय से भावनगर क्षेत्र में एक प्रभावशाली कोली नेता रहे हैं. पिछले कुछ समय से कांग्रेस और बीजेपी दोनों से जुड़े रहे राजू सोलंकी भावनगर पश्चिम की सीट से अब आप के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री जीतू वाघानी की नींद उड़ चुकी है. इस सीट पर करीब 50 हजार कोली वोटर हैं. यहां 40-45 हजार क्षत्रिय और करीब 15 हजार पाटीदार हैं. जीतूभाई इन तीनों वोटबैंक के संयुक्त समर्थन से हर बार जीतते हैं. इस बार केके गोहिल को कांग्रेस का उम्मीदवार माना जा रहा है. इसलिए क्षत्रियों के वोट भी विभाजित हो सकता है. वहीं राजू सोलंकी कोली समुदाय के वोट का ध्रुवीकरण कर सकते हैं जिससे जीतू वाघानी की स्थिति काफी खराब हो सकती है.
सूरत की इन तीन सीटों पर आप के उम्मीदवार मजबूत
सूरत शहर के वराछा, करंज और कामरेज तीन विधानसभा सीटों को पाटीदारों का गढ़ माना जाता है. आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया का करंज सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है. कामरेज के उम्मीदवार के रूप में राम धडुक के नाम की घोषणा पहले ही की जा चुकी है. हाल ही में आप में शामिल हुए प्रमुख पास सदस्य अल्पेश कथिरिया वराछा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. यह तीनों नेता युवा, आक्रामक और लोकलुभावन हैं. पाटीदार युवाओं में लोकप्रिय हैं. ऐसे में बीजेपी को इन तीनों सीटों पर जीत के लिए पसीने बहाना पड़ेगा.
#राजकाज: इटालिया, इसुदान, इंद्रनील: केजरीवाल के तीन इक्के गुजरात विधानसभा में पहुंच पाएंगे?
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