अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में 2002 के नरोडा गाम में हुए दंगों के मामले में विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. नरोडा में 2002 के सांप्रदायिक दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोग मारे गए थे. इसमें राज्य की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और पूर्व वीएचपी अध्यक्ष समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था. स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को नरोडा गाम दंगा मामले का फैसला सुनाते हुए तमाम आरोपियों को बरी कर दिया है.
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फैसला सुनाने से पहले कोर्ट के बाहर पुलिस का कड़ा बंदोबस्त किया गया था, मीडिया को कोर्ट के अंदर जाने की इजाजत नहीं थी. पूरा फैसला सुनाए जाने तक किसी बाहरी व्यक्ति को अदालत के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. इसके अलावा नरोडा गाम हत्याकांड को लेकर नरोडा इलाके में भी 70 से ज्यादा पुलिस बंदोबस्त किए गए थे. गोधरा कांड के बाद 2002 के दंगों में नरोडा गाम में हुए नरसंहार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले की अंतिम दलीलें पूरी कर ली हैं. नरोडा गाम नरसंहार मामले में पुलिस ने 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था और विशेष अदालत ने आज पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत सभी को बरी कर दिया है.
अभियोजक शमशाद पठान ने कहा कि हमारा सवाल है कि नरोडा गाम में 11 लोगों को जिंदा किसने जलाया. हमें सरकार से निराशा मिली और फिर सीट बनी और हम इस बात से निराश हैं कि विशेष अदालत ने मामले की जांच के बाद सभी को बरी कर दिया. पीड़ित पक्ष के मुताबिक विशेष अदालत द्वारा नरोडा गाम फैसले को जल्द ही गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
जिस दौरान प्रधानमंत्री मोदी गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री थे उनके मंत्रिमंडल में शामिल माया कोडनानी को दोषी पाया और उन्हें 28 साल की जेल की सजा सुनाई थी. हालांकि कोडनानी को बाद में गुजरात उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था. यह दंगा साल 2022 में हुए नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों में से एक था और मामले की जांच एसआईटी ने की थी. 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों में नरोडा गाम नरसंहार भी शामिल था, जिसमें 11 लोग मारे गए थे.
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