नई दिल्ली: चीन की सेना की नजर एलएसी पर है, अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले को लेकर उसके मंसूबे बार-बार सामने आ चुके हैं. 1962 के युद्ध के दौरान, चीन ने भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में अपने सैनिकों की सबसे बड़ी तुकड़ी तवांग के रास्ते असम में घुसपैठ की थी. इतना ही नहीं तवांग कुछ समय के लिए चीन के कब्जे में भी चला गया था. अक्टूबर 2021 में 200 चीनी सैनिकों की टुकड़ी तवांग में तैनात थी.
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अब जानकारी सामने आ रही है कि चीनी सैनिकों ने भारत-चीन-भूटान सीमा के पास एक भारतीय गांव में घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया. इस बार भी चीनी सेना के हथकंडे कुछ ऐसे ही थे, लेकिन इस बार चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों का सामना करना पड़ा.
सूत्रों ने कहा कि चीन लगभग 300 सैनिकों के साथ भारी तैयारी के साथ आए थे, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी कि भारतीय सेना भी अच्छी तरह से तैयार होगा. 9 दिसंबर को भारतीय सेना के जवानों के साथ गतिरोध के दौरान अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर चीनी सेना के 300 से अधिक सैनिकों को भेजा था, लेकिन चीन को यह उम्मीद नहीं थी कि भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार होगी.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, तवांग सेक्टर में आमने-सामने के इलाके में तैनात भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ में घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय जवानों से कहीं ज्यादा थी.
एलएसी पर भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प
भारत और चीन के सैनिक पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में पिछले हफ्ते भिड़ गए थे. मामले से वाकिफ भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, पड़ोसियों के बीच 2020 के बाद यह पहली झड़प है. यह घटना 9 दिसंबर को हुई और दोनों सेनाओं को मामूली चोटें आईं. सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष तब से क्षेत्र से अलग हो गए हैं, सैन्य कमांडरों ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए बैठक की है.
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