चीन एक बार फिर सीमा पर नापाक हरकत करता नजर आया है. नई सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन तिब्बत में भारत और नेपाल की सीमा के पास गंगा की एक सहायक नदी पर नया बांध बना रहा है. कुछ दिनों पहले एक और सैटेलाइट इमेज सामने आई थी, जिसमें दिखाया गया था कि चीन ने एलएसी के पूर्वी और पश्चिमी सेक्टरों में तेजी से सैन्य, बुनियादी ढांचे और गांवों का निर्माण शुरू कर दिया है.
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इंटेल लैब्स में एक भू-स्थानिक खुफिया शोधकर्ता डेमियन साइमन ने गुरुवार को ट्विटर पर छवियों को साझा किया. तस्वीर से पता चलता है कि मई 2021 से, चीन ने बुनियादी ढांचे का विकास किया है और तिब्बत के बुरांग काउंटी में मब्जा जांगबो नदी पर एक बांध बना रहा है. बता दें कि मब्जा जांगबो नदी भारत में गंगा में मिलने से पहले नेपाल में घाघरा या करनाली नदी में गिरती है.
बांध कितना ऊंचा है?
शोधकर्ता डेमियन साइमन ने कहा कि बांध भारत और नेपाल के साथ चीन की तीन-तरफ़ा सीमा के उत्तर में कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. साइमन ने यह भी बताया कि नई उपग्रह छवियों के अनुसार बांध 350 मीटर से 400 मीटर लंबा प्रतीत होता है. “जैसा कि निर्माण अभी भी चल रहा है, इसके उद्देश्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है,” . इसके अलावा साइमन ने कहा कि पास में एक एयरपोर्ट भी बनाया जा रहा है.
बांध बनाने के पीछे क्या है चीन की योजना?
मामले से परिचित लोगों ने कहा कि बांध, भारत और नेपाल के साथ चीन की सीमाओं के रणनीतिक त्रि-जंक्शन पर स्थित है और उत्तराखंड राज्य के कालापानी क्षेत्र के विपरीत है, जिसका उपयोग मब्जा जांगबो नदी के पानी को मोड़ने या प्रतिबंधित करने के लिए किया जा सकता है. विशेषज्ञों ने कहा कि बांध का उपयोग पानी को स्टोर करने के लिए भी किया जा सकता है, जिसे छोड़े जाने पर नीचे की ओर बाढ़ आ सकती है.
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