हर महानगर का विकास उसका इतिहास होता है. अहमदाबाद को जब कपड़ा उद्योग में भारत के मैनचेस्टर के रूप में जाना जाता था, मिल श्रमिकों का मजूर इलाका गुजरात के विभाजन के बाद विकसित हुआ और इसका नाम बापूनगर रखा गया. मिल उद्योग के पतन के बाद यह क्षेत्र छोटे पैमाने के उद्योगों का केंद्र बन गया क्योंकि बेरोजगार हो गए मिल मजदूरों ने अगरबत्ती, चेवड़ा-चवाना, हाथकरघा वस्त्र, कढ़ाई, वाशिंग पाउडर बनाना शुरू कर दिया. निरमा ब्रांड जो आज पूरे देश में प्रसिद्ध है उसकी शुरुआत बापूनगर के एक कमरे से हुई थी. अस्सी के दशक में सूरत में हीरा उद्योग के फलने-फूलने के बाद बापूनगर में हीरे के कारखाने शुरू किए गए क्योंकि यहां जमीन अपेक्षाकृत सस्ती थी. आज का बापूनगर उस पहचान से काफी आगे निकल गया है और आज अहमदाबाद की चकाचौंध के साथ ताल मिला रहा है. मिल श्रमिक, और हीरा उद्योग से जुड़े सौराष्ट्र के पाटीदारों आबादी यहां लगभग समान है. नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई विधानसभा की सामान्य श्रेणी की इस सीट के तहत कुल 1,97,648 मतदाता पंजीकृत हैं.
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मिजाज
प्रवासियों, मुस्लिमों, दलितों और पाटीदार मतदाताओं के प्रभुत्व वाली इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बराबरी का मौका है. इस सीट पर दो चुनाव हुए, एक बार बीजेपी के जगरूप सिंह राजपूत जीते और दूसरी बार कांग्रेस के हिम्मत सिंह पटेल को मौका मिला. यहां जीत का अंतर बहुत कम होता है. हर चुनाव में कांटे की टक्कर होती है. इस साल के चुनाव में भी इसी तरीके की तस्वीर दिख सकती है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 जगरूप सिंह राजपूत बीजेपी 2,603
2017 हिम्मत सिंह पटेल कांग्रेस 3,067
(नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आने के बाद से इस सीट पर अब तक दो चुनाव हो चुके हैं)
कास्ट फैब्रिक
संख्या के लिहाज से यहां करीब 68,000 प्रवासी सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं. इसके अलावा, 45,000 मुस्लिम, 32,000 पाटीदार और 15,000 दलित समुदायों का महत्वपूर्ण स्थान है. चूंकि प्रवासियों में उत्तर भारतीय सबसे अधिक हैं, इसलिए यूपी, बिहार से कनेक्शन वाले उम्मीदवारों को यहां मौका मिलता है. सौराष्ट्र के पाटीदारों को ठक्करबापा नगर से टिकट मिलने का सीधा असर बापूनगर के पाटीदारों पर भी पड़ता है. दोनों राजनीतिक दल इन समीकरणों को केंद्र में रखते हैं.
समस्या
कभी हर जगह फलने-फूलने वाले हीरे के कारखाने अब बीते दिनों की बात हो गए हैं. यहां भी सूरत की तरह हीरों की दुकान शुरू करने के वादे पूरे नहीं किए गए. कढ़ाई उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बिजनेस पार्क बनाने की बात भी आगे नहीं बढ़ी है. अवैध निर्माणों को इंपेक्ट फीस भरकर नियमित करने में बापूनगर क्षेत्र सबसे आगे होने के कारण यहां भारी अनियमितताएं देखने को मिलती हैं. पानी के निस्तारण के लिए ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन है बावजूद इसके बारिश के सीजन में जलभराव की समस्या यहां सबसे आम है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कांग्रेस के हिम्मत सिंह पटेल राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. छात्र जीवन में एनएसयूआई से राजनीति में आने वाले हिम्मत सिंह अहमदाबाद के मेयर भी रह चुके हैं. कांग्रेस के आंतरिक गुटों में अपना लाभ प्राप्त करने में माहिर हिम्मत सिंह निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़कर जनसंपर्क बनाए रखते हैं. हालांकि पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन का सीधा फायदा मिलने के बाद भी हिम्मत सिंह जीत के अंतर को खास नहीं बढ़ा पाए थे. इसलिए इस बार उनके लिए जीत आसान नहीं है. इस बार हिम्मत सिंह के लिए पाटीदार वोटरों को रिझाना बड़ी चुनौती है.
प्रतियोगी है?
बीजेपी ने इस बार उत्तर प्रदेश समुदाय के दिनेश सिंह कुशवाहा को चुना है. उत्तर भारतीय समाज के विभिन्न सामाजिक संगठनों से ताल्लुक रखने वाले कुशवाहा सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में अग्रणी हैं, इसलिए भाजपा को प्रवासी भारतीयों का वोट मिलने की उम्मीद है. हालांकि, कुशवाहा प्रवासी भारतीयों के अलावा पाटीदार वोटों के लिए भाजपा संगठन और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के पाटीदार नेताओं पर निर्भर हैं.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी राजेश दीक्षित की क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान है. इसके अलावा ओवैसी की पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारा है. लेकिन आप और एमआईएम के उम्मीदवार नतीजे पर कोई खास असर नहीं छोड़ पाएंगे. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है.
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