सौराष्ट्र के लोगों ने एक जमाना में अहमदाबाद के बापूनगर को अपने निवास के लिए चुना क्योंकि यह सौराष्ट्र से अहमदाबाद के रूट पर मौजूद पहला इलाका था. रोजगार के लिए सूरत आए सौराष्ट्र निवासी पहले कामरेज और फिर वराछा के इलाके में बस गए. इसी तरह, घाटलोडिया पहला क्षेत्र था जहां उत्तर गुजरात से अहमदाबाद आने वाले लोग मेहसाणा, अडालज के रास्ते अहमदाबाद में प्रवेश करते थे. घाटलोडिया के आबादी से अधिक हो जाने के बाद, चाणक्यपुरी, चांदलोडिया का विकास हुआ. अस्सी के दशक में गुजरात हाउसिंग बोर्ड ने नारनपुरा, सोला रोड पर रिहायशी मकान बनवाए तो पोल इलाके से हिंदू भी यहां आकर बस गए. यह विधानसभा की मूल सरखेज सीट थी, जो बहुत बड़ी थी और नए परिसीमन में सरखेज, वेजलपुर और घाटलोडिया नामक तीन निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित की गई. घाटलोडिया, मेमनगर के अलावा, बोपल, गोता, शिलज, चेनपुर, ओगणज जैसे उपनगर भी घाटलोडिया सीट का हिस्सा हैं, यह सीट भौगोलिक रूप से बहुत बड़ी है और मतदाताओं की संख्या की दृष्टि से भी विशाल है. यहां कुल 3,52,340 मतदाता पंजीकृत हैं.
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मिजाज
पुराने अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगों से परेशान होकर पोल इलाके से पलायन करने वाले लोगों की मानसिकता के कारण घाटलोडिया को हिंदुत्व का गढ़ माना जाता है. घाटलोडिया विधानसभा सीट से पूरे गुजरात में बीजेपी प्रत्याशी सबसे ज्यादा अंतर से जीतता आया है. यह सीट गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और गांधीनगर एक हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट है. पहले इस सीट से लालकृष्ण आडवाणी जीत रहे थे. अब गृह मंत्री अमित शाह इस इलाके के सांसद हैं. इस विधानसभा सीट को भी वीआईपी सीट का लाभ मिलता है. यहां कांग्रेस समेत हर पार्टी के लिए जनाधार तैयार करना लोहे का चना चबाने जैसा कठिन है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 आनंदीबेन पटेल बीजेपी 1,10,395
2017 भूपेंद्र पटेल बीजेपी 1,17,750
(नए परिसीमन के अस्तित्व में आने के बाद से यहां दो चुनाव हो चुके हैं)
कास्ट फैब्रिक
इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 85,000 पाटीदारों को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है, जिनमें उत्तर गुजरात से आने वाले कड़वा पाटीदारों का एक महत्वपूर्ण अनुपात है. उसके बाद रबारी, भरवाड़ जैसे मालधारी समुदाय की संख्या लगभग 55,000 है. 40,000 ठाकोर और 40,000 दलित समुदाय भी महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा लोहार, बढ़ई, दर्जी जैसी ओबीसी जातियों की संख्या 70,000 है, जबकि ब्राह्मण, वनिया, लोहाना जैसी स्वर्ण जातियों की भी संख्या 65-70,000 है. बीजेपी पाटीदारों के अलावा ओबीसी और स्वर्ण समुदायों के बल पर टिकी हुई है, लेकिन कांग्रेस का यहां कोई जनाधार नहीं है.
समस्या
केंद्रीय गृह मंत्री का लोकसभा क्षेत्र और मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र होने के बावजूद यहां टूटी सड़कों और आवारा पशुओं की समस्या साल भर बनी रहती है. इसके अलावा चारों तरफ चलने वाले निर्माण कार्य, नालों की खुदाई और मानसून में जलभराव की समस्या से से लोगों को दो चार होना पड़ता है. लेकिन दुर्भाग्य से मतदान करते समय लोगों को इनमें से कोई भी समस्या याद नहीं रहती है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
पिछले चुनाव में जब भूपेंद्र पटेल इस सीट से जीते थे तब वे केवल विधायक थे. अब दूसरी बार वे वर्तमान और भावी मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. दादा के नाम से पुकारे जाने वाले भूपेंद्रभाई अपनी स्वच्छ छवि और हसमुख स्वभाव के कारण एक समझदार व्यक्तित्व रखते हैं. कार्यकर्ताओं के बीच वे जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही जनता के बीच भी लोकप्रिय हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनके कपड़े रोज की तरह सादे हैं. इस बार वह सवा लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने का लक्ष्य रखा है.
प्रतियोगी कौन?
बीजेपी के इस गढ़ से कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद अमीबेन याग्निक को मैदान में उतारा है. अमीबेन एक प्रतिभाशाली और प्रभावशाली महिला हैं लेकिन राज्यसभा सदस्य के रूप में भी उनकी पहचान व्यापक नहीं हो पाई है. उनकी सक्रियता बहुत ऊंचे हलकों तक सीमित थी और जनता के नेता के रूप में अपनी छाप नहीं छोड़ सकीं, घाटलोडिया में कांग्रेस के पास इतना मजबूत संगठन नहीं है कि इतने बड़े भौगोलिक क्षेत्र में घर-घर जाकर पार्टी का संदेश पहुंचा सके. इन परिस्थितियों में, अमीबेन की उपस्थिति के प्रतीकात्मक बने रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. आप प्रत्याशी विजय पटेल स्कूल फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय थे, लेकिन घाटलोडिया के बाहर कोई जाना-पहचाना नाम नहीं है. घाटलोडिया, मेमनगर, बोपल, गोता जैसे मध्यवर्गीय क्षेत्रों में, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं के प्रति सरकार की उदासीनता के खिलाफ आक्रोश लोगों को सहज रूप से आम आदमी पार्टी की ओर झुकाव के लिए प्रेरित कर सकता है. इसलिए भले ही आप का उम्मीदवार गेम चेंजर न बने, फिर भी आप को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल सकती है.
#बैठकपुराण बापूनगर: कांग्रेस द्वारा दिखाए गए ‘हिम्मत’ के बाद अब पाटीदारों का झुकाव निर्णायक होगा
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