पुराना अहमदाबाद जब कोट क्षेत्र तक ही सीमित था, तब साबरमती नदी के किनारे छोटे-छोटे गांव मौजूद थे, जो आज अहमदाबाद में विलीन हो गए और दशकों बाद वह अहमदाबाद का हिस्सा बन गए हैं. जोधपुर, मकरबा, सरखेज, वस्त्रापुर जैसा ही एक पुराना गांव यानी वेजलपुर था. मूल रूप से रबारी समाज का यह गांव अब अहमदाबाद की विविध आबादी वाला एक मध्यमवर्गीय आवासीय क्षेत्र माना जाता है. ढाई दशक पहले वेजलपुर को अहमदाबाद की सीमा माना जाता था. लेकिन अब अहमदाबाद की सीमा वेजलपुर से पांच किलोमीटर आगे बढ़ गई है और वेजलपुर शहर के बीच में माना जाता है. नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई वेजलपुर विधानसभा के तहत कोट क्षेत्र के बाहर के इन गांवों को अहमदाबाद के उपनगरों को इस सीट के तहत शामिल किया गया है. मुस्लिमों का गांव मकतमपुरा (जुहापुरा) भी इसी सीट के अंतर्गत आता है. भौगोलिक रूप से, यह निर्वाचन क्षेत्र बहुत बड़ा है और इसमें कुल 3,26,977 पंजीकृत मतदाता हैं.
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मिजाज
नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट के तहत दो चुनाव हो चुके हैं और दोनों में बीजेपी को जीत मिली है. यहां का तानाबाना ऐसा है कि हिंदुत्व की प्रयोगशाला मानी जाने वाली गुजरात की इस सीट पर हिंदू वोटरों का ध्रुवीकरण करना बीजेपी के लिए आसान है. यहां बीजेपी के पास सही उम्मीदवार चुनने और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर बढ़त बढ़ाने के अलावा चिंता करने की ओर कोई बात नहीं है. हालांकि, इस बार तीसरे कारक की मौजूदगी की वजह से कड़े मुकाबले की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 किशोर चौहान बीजेपी 48,712
2017 किशोर चौहान बीजेपी 40,985
कास्ट फैब्रिक
गुजरात में सबसे बड़ी मुस्लिमों की आबादी जुहापुरा में बसती है. यहां 1,35,000 मुस्लिम मतदाता हैं. जबकि 90,000 ओबीसी, 35,000 दलित और 35,000 ब्राह्मणों के साथ-साथ 30,000 जैन और 28,000 पाटीदार बीजेपी के कोर वोटबैंक माने जाते हैं. जैसे-जैसे सांप्रदायिक दंगों के कारण दोनों धर्मों के बीच बनी अविश्वास की दीवार को सियासी लोग चौड़ा करते जा रहे हैं, वैसे-वैसे वोटिंग पैटर्न में भी अंतर स्पष्ट होता जा रहा है. बीजेपी ज्यादातर ओबीसी, पाटीदार, ब्राह्मण और जैन समीकरण पर फोकस करती है.
समस्या
बारिश की सीजन में इस निर्वाचन क्षेत्र की कई सोसायटियों में कई दिनों तक जलभराव की स्थिति बनी रहती है. इस समस्या को सबसे गंभीर माना जाता है, इसके अलावा अंधाधुंध निर्माण परमिट देने के बाद इम्पैक्ट फीस वसूल कर अवैध निर्माणों को वैध कर दिया जाता है. इसकी भारी कीमत स्थानीय निवासी बारिश की सीजन में इस तरह चुकाते है. सीवेज का पानी सीधे सरखेज रोजा के ऐतिहासिक तालाब और सिंगोड़ा तालाब में छोड़ दिया जाता है. जिसकी वजह से स्थानिक लोगों को साल भर असहनीय बदबू सहना पड़ता है. इन समस्याओं के कारण ही वेजलपुर क्षेत्र तमाम खूबियों के बावजूद विकास में पिछड़ गया है और स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर व्यापक नाराजगी है कि गोता, बोपल जैसे नए उभरते इलाके तेजी से इससे आगे निकल गए हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
भाजपा के टिकट पर दो बार से चुने गए किशोर चौहान के खिलाफ स्थानीय लोगों की नाराजगी और संगठन की कमजोर प्रतिक्रिया को देखकर उनके ऊपर नो रिपीट थ्योरी लागू होने की धारणा सच हो गई है. उनकी जगह बीजेपी ने छात्र नेता के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले अमित ठाकर को चुना है. अमित ठाकर की योग्यता और पार्टी के लिए काम को देखते हुए माना जा रहा है कि उन्हें यह मौका बीस साल देर से मिला है. ठाकर लंबे समय से इस निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े हुए हैं जिसकी वजह से उनका मजबूत जनसंपर्क है, इसलिए चुनाव तक का समय उनके प्रचार के लिए पर्याप्त है.
प्रतियोगी कौन?
इस सीट से कांग्रेस ने राजेंद्र पटेल को उतारा है. निर्माण व्यवसाय से जुड़े राजेंद्र पटेल ने छात्र जीवन से ही एनएसयूआई के माध्यम से सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था. स्थानीय होने के कारण उनके संपर्क और कामकाज भी महत्वपूर्ण है. बिना किसी दिक्कत से लोगों से मिलना उनके लिए चुनाव में फायदेमंद साबित हो सकता है. हालांकि, भौगोलिक रूप से इतने बड़े निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए उन्हें कांग्रेस संगठन की तुलना में अपने व्यक्तिगत सूत्रों पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगा.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी ने यहां कल्पेश पटेल को मैदान में उतारा है. दिलचस्प बात यह है कि कल्पेश पटेल और कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र पटेल चचेरे भाई हैं. एक और दिलचस्प बात यह है कि कल्पेश पटेल, राजेंद्र पटेल और बीजेपी प्रत्याशी अमित ठाकर कॉलेज के दोस्त हैं और अब एक ही सीट पर अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार के तौर पर आमने-सामने लड़ रहे हैं. सिस्टम को बदलने और भुगतान किए गए टेक्स के मुआवजे के रूप में मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के आप के वादों का यहां अच्छा प्रभाव है. जिसके बाद इस निर्वाचन क्षेत्र पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है.
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