पंचमहल जिला प्राकृतिक संपदा से समृद्ध होने के बाद भी गुजरात के सामाजिक जीवन से बिल्कुल अलग विस्तार है. आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा माने जाने वाले इस जिले में ब्रिटिश शासन के दौरान गोधरा, कालोल, हालोल, दाहोद, जलोद को शामिल करने की वजह से पावागढ़ पंचमहल के रूप में अपनी पहचान बनाया था. कुछ लोग यहां पांच महल होने से पंचमहल को परिभाषित करके पांच महलों को खोजने को खोजने की भी नाकाम कोशिश कर चुके हैं.
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मिजाज
गुजरात राज्य के बंटवारे के साथ अस्तित्व में आई इस सीट का मिजाज अनोखा है. 1962 से 1995 तक लगातार कांग्रेस को समर्पित, यह सीट 1998 से 2017 तक भाजपा के जेठाभाई भारवाड़ (अहीर) का डटकर समर्थन करती रही है. लोकसभा सीट गोधरा के अंतर्गत आने वाली इस विधानसभा सीट में जाति के आधार पर वोटिंग की जगह ज्यादातर मजबूत उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग का रुझान रहा है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 जेठाभाई भरवाड़ सपा 22369
2002 जेठाभाई भरवाड़ भाजपा 57064
2007 जेठाभाई भरवाड़ भाजपा 18453
2012 जेठाभाई भरवाड़ भाजपा 28725
2017 जेठाभाई भरवाड़ भाजपा 41069
कास्ट फैब्रिक
यहां क्षत्रिय, कोली, बारैया, भरवाड़ और आदिवासी समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है. आदिवासी मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन पंचमहल (गोधरा) लोकसभा सीट पर ज्यादातर क्षत्रिय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. जबकि शहेरा विधानसभा सीट पर इससे उल्टा क्षत्रियों के खिलाफ अन्य जातियों के समीकरण मजबूत होने से दूसरी जाति का उम्मीदवार जीत जाता है.
समस्या
यहां पेयजल की समस्या सबसे विकट है. जमीन इतनी गहरी डूब गई है कि शहरी इलाकों में डंकी या ग्रामीण इलाकों में कुएं से भी पीने योग्य पानी मिलना मुश्किल हो रहा है. सर्दी खत्म होने से पहले यहां टैंकरराज शुरू हो जाता है. खेती में भी पानी और सिंचाई की समस्या है. सुंदर स्थान होने के बावजूद यहां फिल्म स्टूडियो विकसित करने की परियोजना आगे नहीं बढ़ पाई है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
यहां पिछले ढाई दशक से चुनाव का मतलब जेठाभाई और जेठाभाई का मतलब जीत की गारंटी मानी जा रही है. समाजवादी पार्टी के बैनर तले पहला चुनाव लड़कर भाजपा में शामिल हुए जेठाभाई अपनी दबंग छवि के लिए जाने जाते हैं. जेठाभाई पर उम्र, एकल निर्विरोध उम्मीदवारी, एक से अधिक पद धारण करने जैसे भाजपा के मानदंड लागू नहीं होते हैं. पंचमहल डेयरी और सहकारी बैंक के अध्यक्ष जेठाभाई का इस बार टिकट काटना भाजपा के लिए आंतरिक चुनौती होगी.
प्रतियोगी कौन?
पच्चीस साल का इतिहास है कि जेठाभाई के खिलाफ प्रतिद्वंद्वी सिर्फ नाम के होते हैं. हालांकि कांग्रेस के कुछ उम्मीदवारों ने जेठा को कड़ी टक्कर भी दे चुके हैं. इसमें पिछले चुनाव के उम्मीदवार दुष्यंतसिंह चौहान और उससे पहले के चुनाव में तख्तसिंह सोलंकी का नाम सबसे पहले लिया जाता है. इस बार फिर भी दुष्यंत सिंह ने कांग्रेस से टिकट के लिए दावेदारी की है.
तीसरा कारक
2012 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हार का सामने करने वाले तख्तसिंह सोलंकी ने इस बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर हैं. तखतसिंह जिनकी स्थानीय स्तर के साथ-साथ लुनावाड़ा में अच्छी पकड़ है वह कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. जिसकी वजह से भाजपा प्रत्याशी की जीत निश्चित हो जाएगी.
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