अहमद शाह बादशाह द्वारा बसाया गया शहर अहमदाबाद का गुजरातीकरण होकर अमदावाद हो गया है. इसी तरह मुहम्मद शाह बादशाह के शहर मेहमूदाबाद को भी गुजराती में मेहमदाबाद के नाम से जाना जाने लगा है. गुजरात के महान सुल्तान महमूद बेगड़ा द्वारा बसाए गए इस शहर को एक समय में राजधानी बनाने का इरादा था. महमूद वात्रक के तट पर शहर की स्थापना कर चरोतर के रास्ते वडोदरा तक अपने शासन का विस्तार करने के इरादे से इसकी स्थापना की थी, लेकिन कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. उसके बाद उनके किसी वारिस का अहमदाबाद छोड़ने का मन नहीं हुआ. कुल मिलाकर चुनाव आयोग की सीट संख्या 117 वाली मेहमदाबाद विधानसभा सीट आज भी ग्रामीण क्षेत्र बनी हुई है. यहां के शाही काल के भम्मरिया कुएं के बारे में कई किंवदंतियां हैं. ऐसा कहा जाता है कि सात मंजिलों वाले इस विशेष कुएं की तीसरी, पांचवीं और सातवीं मंजिल क्रमशः अहमदाबाद, पावागढ़ और जूनागढ़ की ओर जाने वाले तीन भूमिगत मार्ग हैं.
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मिजाज
यहां के भम्मरिया कुआं में कांग्रेस डूबकर किस भूमिगत रास्ते पर खो गई है यह कोई नहीं जानता, लेकिन 1980 के बाद से इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी एक बार भी नहीं जीत पाए हैं. ग्रामीण क्षेत्र, सवर्ण आबादी मर्यादित, मुस्लिम और दलित जैसे सभी कारक कांग्रेस के पक्ष में बावजूद इसके कांग्रेस इस क्षेत्र के मतदाताओं में साधने में नाकाम रही है. यह यहां की आबादी की विशेषता भी हो सकती है. किसानों या महंगाई, बेरोजगारी और विकास से जुड़े कई मुद्दे यहां प्रस्तुत हैं लेकिन इनमें से प्रत्येक मुद्दा भाजपा के हिंदुत्व के सामने बिल्कुल छोटे नजर आ रहे हैं.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 सुंदर सिंह चौहान भाजपा 12341
2002 सुंदर सिंह चौहान भाजपा 16066
2007 सुंदर सिंह चौहान भाजपा 11548
2012 गौतमभाई चौहान कांग्रेस 4181
2017 अर्जुन सिंह चौहान भाजपा 20915
कास्ट फैब्रिक
यहां कुल 2,50,521 मतदाताओं में से 28% ओबीसी क्षत्रिय सबसे बड़ी आबादी है. इसके अलावा दलित 13%, मुस्लिम 10%, पाटीदार 8% और कोली सहित अन्य ओबीसी 14 फीसदी हैं. जब जातिवादी समीकरण राजनीति का एक अनिवार्य अभिशाप नहीं बना था तब कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में बंसीलाल पंड्या इस सीट से विधायक बने थे, हालांकि अब यह एक स्थायी नियम बनता जा रहा है कि बीजेपी-कांग्रेस दोनों पार्टियां क्षत्रिय उम्मीदवारों को ही टिकट देती हैं.
समस्या
गुजरात के ग्रामीण पिछड़े इलाकों में मेहमदाबाद को सबसे आगे रखना होगा. अहमदाबाद और वडोदरा जैसे दो महानगरों के पड़ोस में होने के बावजूद, मेहमदाबाद बिल्कुल भी विकसित नहीं हो सका. अहमदाबाद-मुंबई रेलवे लाइन पर स्थित है और एक्सप्रेस-वे के बेहद करीब बावजूद इसके यहां बड़े उद्योगों को लाने में सरकारी नीतियां विशेष रूप से सफल नहीं रही हैं. सौराष्ट्र या उत्तर गुजरात की तरह यहां सहयोग क्षेत्र का भी विकास नहीं हुआ है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने अर्जुन चौहान भी भूपेंद्र पटेल की सरकार में मंत्री बनने की दावेदारी में थे. स्थानीय स्तर पर व्यापक जनसंपर्क रखने वाले अर्जुनभाई युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं. सभी समाज के अच्छे-बुरे आयोजनों में शामिल होकर वह अपनी पकड़ को मजबूत बनाए हुए हैं. स्थानीय संगठन पर भी उनकी अच्छी पकड़ है. जिसकी वजह से उनका टिकट फिक्स माना जाता है.
प्रतियोगी कौन?
बीजेपी से कांग्रेस में जाने के बाद 2017 का चुनाव हार चुके गौतम चौहान इस बार भी दावेदार माने जा रहे हैं. इस बात की भी व्यापक चर्चा है कि कांग्रेस तालुका पंचायत के सदस्य जितेंद्र सिंह चौहान भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. इस सीट के लिए कांग्रेस सांसद अमीबहन याज्ञनिक ने जब नेताओं, कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी तब तीन लोगों ने दावेदारी ठोकी थी.
तीसरा कारक
यहां आम आदमी पार्टी का प्रभाव अभी भी उतना व्यापक नहीं है, क्योंकि 88% ग्रामीण मतदाता हैं. चूंकि मुस्लिम आबादी भी कम है, इसलिए यहां एमआईएम की मौजूदगी भी अप्रासंगिक है. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच पारंपरिक लड़ाई में बीजेपी का ही पलड़ा भारी होगा.
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