नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, इस योजना को लाने का मतलब हमारी सेना को अच्छे से तैयार करना है और यह इस देश के हित में है. वहीं जो लोग पुरानी नीति के आधार पर नियुक्ति की मांग कर रहे थे, कोर्ट ने उनकी मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मांग वैध नहीं है.
Advertisement
Advertisement
अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाएं देश के अलग-अलग हिस्सों में दायर की गईं जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. आज दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया है. केंद्र ने अपना तर्क देते हुए कहा कि अग्निपथ योजना रक्षा भर्ती में सबसे बड़े बदलावों में से एक है. सेना में भर्ती प्रक्रिया में यह बड़ा बदलाव होगा.
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने 15 दिसंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती पिछले साल 14 जून से शुरू हुई थी. इस योजना के नियमों के अनुसार 17 से 21 वर्ष के लोग इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, उन्हें चार साल के लिए सेना में शामिल किया जाएगा.
छह महीने बहुत कम समय- याचिकाकर्ता की दलील
आवेदकों ने दावा किया कि शेष 75 प्रतिशत उम्मीदवार चार साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे और उनके लिए कोई योजना नहीं है. उपस्थित याचिकाकर्ताओं में से एक ने 12 दिसंबर को तर्क दिया- छह महीने में मुझे शारीरिक सहनशक्ति विकसित करनी है और हथियार चलाना सीखना है. छह महीने का समय बहुत कम होता है. हम राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने जा रहे हैं. इस मामले में तर्क भी दिया गया कि क्या अग्निवीर के चार साल के कार्यकाल को उनकी पूरी सेवा के रूप में गिना जाएगा, जबकि उनमें से सिर्फ एक चौथाई ही सेना में शामिल होंगे.
मेघालय-नागालैंड चुनाव: PM मोदी ने की खास अपील, अमित शाह ने कहा- भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चुनें
Advertisement