दिल्ली: G20 विदेश मंत्रियों की बैठक की शुरुआत करने से पहले तुर्की और सीरिया में हाल ही में आए भूकंपों में जान गंवाने वाले लोगों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया. बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि हम पहली बार एक वैश्विक संकट के बीच एक साथ आए और आज फिर हम कई संकटों का सामना कर रहे हैं. इनमें कोविड महामारी, नाजुक आपूर्ति श्रृंखला, चल रहे संघर्षों के प्रभाव, ऋण संकट की चिंता और जलवायु घटनाओं में व्यवधान शामिल हैं.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इन मुद्दों पर विचार करते हुए हम सभी हमेशा एक मन के नहीं हो सकते हैं. वास्तव में विचारों और दृष्टिकोणों में तीव्र अंतर हैं. फिर भी हमें एक समान फील्ड तलाशनी चाहिए और दिशा-निर्देश देना चाहिए क्योंकि दुनिया हमसे यही उम्मीद करती है. वर्तमान वैश्विक संरचना अपने 8वें दशक में है. इस अवधि में UN के सदस्यों की संख्या चौगुनी हो गई है. यह न तो आज की राजनीति, अर्थशास्त्र, जनसांख्यिकी या आकांक्षाओं को दर्शाता है. 2005 के बाद से हमने उच्चतम स्तर पर सुधार के लिए भावनाओं को व्यक्त किए जाने के बारे में सुना है.
इसके अलावा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं, ये भौतिक नहीं हुए हैं. कारण भी गुप्त नहीं हैं. जितनी देर हम इसे टालते रहेंगे, बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता उतनी ही क्षीण होती जाएगी. वैश्विक निर्णय लेने का लोकतांत्रीकरण होना चाहिए, अगर इसका भविष्य होना है. आज के हमारे एजेंडे में खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा की चुनौतियां पर चर्चा शामिल हैं. ये वास्तव में विकासशील देशों के बनने या टूटने के मुद्दे हैं.
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