अहमदाबाद: दिल्ली के उपराज्यपाल को साबरमती आश्रम में सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर से मारपीट के मामले में गुजरात हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है. अब जब तक वह उपराज्यपाल हैं, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा नहीं चलेगा. इस मामले के शेष तीन आरोपियों के खिलाफ अहमदाबाद की अदालत में आपराधिक मुकदमा जारी रहेगा.
Advertisement
Advertisement
निचली कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर आरोप है कि उन्होंने 2002 में अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में मेधा पाटकर के साथ मारपीट की थी. इस मामले में सक्सेना ने पहले अहमदाबाद के मेट्रो कोर्ट में अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे पर रोक लगाने के लिए अर्जी दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए अहमदाबाद कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. वीके सक्सेना ने निचली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अब वीके सक्सेना को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है.
मेधा पाटकर पर मारपीट का आरोप
अवकाश पीठ के न्यायमूर्ति एमके ठक्कर ने सक्सेना की याचिका पर सुनवाई की और बाद में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी. सक्सेना की ओर से कोर्ट में पेश हुए उनके वकील ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब तक वीके सक्सेना उपराज्यपाल हैं, उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चलेगा. वीके सक्सेना 26 मई, 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल बने हैं.
मेट्रो कोर्ट ने विनय कुमार सक्सेना की याचिका खारिज कर दी
इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल ने क्रिमिनल ट्रायल से छूट की मांग की थी. इसका सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने विरोध किया था. मेधा पाटकर के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि वह राज्यपाल नहीं हैं और मुकदमे से छूट के हकदार नहीं हैं. मेधा पाटकर के वकील ने यह भी तर्क दिया कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत छूट नहीं दी जा सकती है. सुनवाई के बाद मेट्रोपोलिटन जज पी.एन. गोस्वामी ने विनय कुमार सक्सेना की याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
PM मोदी डिग्री विवाद: अहमदाबाद की कोर्ट ने केजरीवाल और संजय सिंह को जारी किया समन
Advertisement