गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में जमीन विवाद के कारण अन्य जाति के लोगों के एक समूह ने दलित भाइयों पर हमला कर दिया, जिसके बाद दोनों भाइयों को फौरन अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दोनों की मौत हो गई. यह घटना 12 जुलाई की शाम को चुडा तालुका के समढीयाला गांव में घटी थी. सुरेंद्रनगर में दो दलित भाइयों की हत्या के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है. इस मुद्दे पर जहां कांग्रेस विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने सरकार पर हमला बोला है, वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल सुरेंद्रनगर जाने के लिए रवाना हो गए हैं.
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बहन ने दर्ज कराई एफआईआर
सुरेंद्रनगर पुलिस के मुताबिक, 12 मई की शाम समढीयाला गांव में दो गुट आमने-सामने आ गए थे. जिसमें अलजी परमार (60) और उनके भाई मनोज परमार (54) घायल हो गए थे. रात में सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान इन दोनों की मौत हो गई थी. राजकोट और सुरेंद्रनगर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अशोक कुमार यादव ने कहा कि हमले में घायल पारुलबेन परमार की शिकायत के आधार पर चुडा पुलिस ने गुरुवार सुबह काठी दरबार समुदाय के 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई कर रही है.
जमीन पर दलित और दरबार समुदाय के लोगों का दावा
पुलिस महानिरीक्षक अशोक कुमार यादव के अनुसार, दो अलग-अलग समुदायों के सदस्यों के बीच चल रहे भूमि विवाद के कारण हमला किया गया था. चुडा तालुका के समढीयाला गांव में जमीन के एक टुकड़े पर दलित और काठी दरबार समुदाय के लोग का अपना-अपना दावा कर रहे हैं. यादव ने बताया कि इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कुछ महिलाओं समेत अन्य लोग घायल हुए हैं.
मेवाणी ने गुजरात सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता और वडगाम विधायक जिग्नेश मेवाणी ने सुरेंद्रनगर घटना पर ट्वीट कर गुजरात सरकार पर जमकर निशाना साधा है. मेवाणी ने लिखा है कि गुजरात में दलितों की किस्मत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. गुजरात तेजी से देश में दलितों पर अत्याचार की राजधानी बनता जा रहा है. सुरेंद्रनगर जिले में एक घटना में, महिलाओं सहित छह दलितों को तथाकथित उच्च जाति के पुरुषों द्वारा पीटा गया. उन पर घातक हथियारों से हमला किया गया जिसके परिणामस्वरूप दो लोगों की मौत हो गई. यह हत्या कथित भूमि विवाद को लेकर हुई थी. मेवाणी ने सवाल करते हुए आगे कहा कि गुजरात सरकार राज्य में दलितों के खिलाफ हो रहे इन अंतहीन अत्याचारों को रोकने के लिए क्या कर रही है? क्या दलितों को अपनी ज़मीन पर झुकने का भी अधिकार नहीं है? ये दरिंदगी कब ख़त्म होगी?
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