नई दिल्ली: केरल के मल्लपुरम जिले के 43 वर्षीय पत्रकार सिद्दीकी कप्पन करीब ढाई साल बाद लखनऊ जेल से जमानत पर रिहा हो गए हैं. कप्पन पिछले ढाई साल से जेल में बंध थे. उनको यूएपीए मामले में सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. उसके बाद दिसंबर 2022 में उन्हें ईडी मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 43 वर्षीय पत्रकार सिद्दीकी कप्पन करीब ढाई साल बाद जेल से रिहा हो गए हैं.
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केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन जेल से रिहा होने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं. मुझे सपोर्ट करने के लिए मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए हैं. लेकिन मैं अब बाहर आकर खुश हूं.
सिद्दीकी कप्पन के मुताबिक वह अक्टूबर 2020 में हाथरस में एक दलित लड़की के गैंगरेप और हत्या मामले को कवर करने जा रहे थे. यूपी सरकार ने कहा कि कप्पन को दंगों में शामिल एक आरोपी के साथ गिरफ्तार किया गया था. यूपी सरकार का कहना है कि कप्पन पत्रकार के तौर पर नहीं बल्कि पीएफआई के एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के तौर पर हाथरस जा रहे थे, जो पीड़ितों के परिवारों से मिलकर सांप्रदायिक दंगे भड़काना चाहता था.
सिद्दीकी कप्पन को जेल में क्यों डाला गया?
कप्पन के जेल जाने के बाद यूएपीए और देशद्रोह की धाराओं के तहत एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्रारंभिक जांच के आधार पर, पुलिस ने पहली प्राथमिकी में कहा कि हाथरस में “शांति और कानून व्यवस्था को बाधित करने” के लिए एक आपराधिक साजिश रची गई थी. पुलिस ने दावा किया कि कप्पन “जाति में विभाजन पैदा करने और कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के बहुत निश्चित इरादे से हाथरस जा रहा था” और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ उसके संबंध थे, जो अब एक प्रतिबंधित संगठन है.
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