नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट एक फरवरी को पेश कर दिया है. जहां भाजपा के नेता इस बजट को क्रांतिकारी बता रहे हैं, वहीं विपक्ष ने इसे निराशाजनक करार दिया है. इस बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि केंद्रीय बजट 2023-24 में मनरेगा बजट को कम नहीं किया गया है. अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन में यह खबर दी गई है. मनरेगा योजना के तहत अकुशल श्रमिकों को एक वर्ष में कम से कम 100 दिनों के लिए रोजगार दिया जाता है.
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ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा है कि मनरेगा के लिए बजट में 60 हजार करोड़ के आवंटन को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में चिंता जताई गई थी. यह पिछले साल के 73 हजार करोड़ रुपए के आवंटन से 18 फीसदी कम बताया जा रहा है. साथ ही श्रमिकों के रोजगार पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.
मंत्रालय ने कहा, ”यह (मीडिया रिपोर्ट) हकीकत से कोसों दूर है, यह योजना मांग आधारित है. जब भी अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है, वित्त मंत्रालय से धन का अनुरोध किया जाता है. भारत सरकार श्रम और सामग्री संबंधी भुगतान के लिए धनराशि जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि योजनाओं को पूरी तरह से लागू किया जा सके.
पीएम मोदी ने बजट का किया था स्वागत
संसद में बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अमृत काल का पहला बजट विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करेगा. ये बजट वंचितों को वरीयता देता है. ये बजट आज की आकांक्षी समाज, गांव, गरीब, किसान, मध्यम वर्ग सभी के सपनों को पूरा करेगा. देश इस बजट में पहली बार अनेक प्रोत्साहन योजना लेकर आई है. ऐसे लोगों के लिए ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी, क्रेडिट, और मार्केट सपोर्ट की व्यवस्था की गई है. पीएम-विकास से हमारे करोड़ों विश्वकर्माओं के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आएगा.
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