नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली के लाल किला परिसर में चार वेदों में से एक ‘सामवेद’ के उर्दू अनुवाद का लोकार्पण किया. यह किसी भी वेद का पहला उर्दू अनुवाद है. मशहूर फिल्म निर्देशक इकबाल दुर्रानी ने इस सिलसिले में नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि लोगों के भगवान की पूजा करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन सबका इरादा एक ही है. हमें यह समझना चाहिए कि धर्म अलग-अलग रास्ते हैं जिनका लोग एक ही लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अनुसरण करते हैं.
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पूजा करने के लिए लोग तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं
भागवत ने कहा कि कुछ लोग पृथ्वी की पूजा करते हैं, कुछ जल की और कुछ अग्नि की पूजा करते हैं लेकिन सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं. यह समुदायों के बीच दुश्मनी या संघर्ष का कारण नहीं बनना चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने नई दिल्ली में पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता इकबाल दुर्रानी द्वारा हिंदू धर्म के चार वेदों या धर्मग्रंथों में से एक, सामवेद के पहले उर्दू अनुवाद के लॉन्च के मौके पर यह टिप्पणी की.
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली में प्रतिष्ठित लाल किले में आयोजित किया गया था. इस दौरान भागवत ने कहा कि भले ही कई लोग अलग-अलग दिशाओं से पहाड़ पर चढ़ते हों, लेकिन उन्हें एक ही चोटी पर पहुंचना होता है. दुनिया इस समय हिंसा से भरी है. भगवान की पूजा करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मकसद या प्रेरणा वही रहती है. पूजा के विभिन्न साधनों पर हमें झगड़ा नहीं करना चाहिए.
सामवेद का उर्दू में अनुवाद
वास्तव में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक इकबाल दुर्रानी ने सामवेद का उर्दू में अनुवाद किया है. उनका मानना है कि यह किताब प्यार की मिसाल है जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए. दुर्रानी ने कहा कि मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे दारा शिकोह ने उपनिषदों का उर्दू में अनुवाद कराने का काम शुरू किया था, लेकिन उनके प्रयासों के सफल होने से पहले ही उनके भाई औरंगज़ेब ने उनकी हत्या करवा दी थी. जिसकी वजह से 400 साल तक इस दिशा में काम बंद रहा. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख में हिंदू धर्मग्रंथों का उर्दू में अनुवाद करने का एक नया प्रयास किया जा रहा है.
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