गांधीनगर: मोरबी ब्रिज हादसे ओरेबा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल ने आज कोर्ट में सरेंडर कर दिया. उसको बाद उसे जेल भेज दिया गया है. जयसुख पटेल हादसे के 90 दिनों के बाद मोरबी कोर्ट में पेश हुआ, कोर्ट में पेशी के बाद जैसे ही जयसुख पटेल को बाहर लाया गया तो मृतक के परिजनों ने हंगामा कर दिया. झुलता पुल हादसे के मामले में जयसुख पटेल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सरेंडर किया. गिरफ्तारी की आशंका के चलते उसने कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी.
Advertisement
Advertisement
इससे पहले गुजरात पुलिस ने मोरबी ब्रिज हादसा मामले में चार्जशीट दाखिल कर पुल की देखरेख करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल को मुख्य आरोपी बनाया था. घटना के बाद से जयसुख पटेल फरार चल रहा था. कुछ दिन पहले ही उसकी गिरफ्तारी के लिए वारंट और लुकआउट नोटिस जारी किया गया था.
मोरबी पुल गिरने से 135 लोगों की मौत
30 अक्टूबर 2022 को मोरबी में एक झुलता पुल गिरने से 135 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस त्रासदी ने 1979 में मच्छू बांध आपदा की याद दिला दी थी. पूल की मरम्मत का ठेका घड़ी बनाने वाली एक कंपनी को दिया गया था, जिसकी लापरवाही से कई लोगों की जान चली गई थी. यह त्रासदी उस समय हुई जब गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस त्रासदी पर दुख व्यक्त किया और तुरंत मोरबी पहुंचकर मरीजों से मिले और मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा की. छठ पूजा के दिन पुल पर भारी भीड़ जमा होने के कारण तार टूट गया और पुल नदी में गिर गया था. हादसे के वक्त पुल पर करीब 500 लोग मौजूद थे.
ओरेवा कंपनी ने पुरानी केबल नहीं बदली, जंग के कारण टूटा पुल
दर्दनाक हादसे के चार दिन पहले यानी 26 अक्टूबर को मोरबी पुल को जनता के लिए खोल दिया गया था और पहले इसे मरम्मत के लिए सात महीने के लिए बंद कर दिया गया था. मिल रही जानकारी के अनुसार मरम्मत के दौरान ओरेवा कंपनी ने इसका फर्श बदल दिया था. लेकिन केबल को नहीं बदला था. पुलिस के मुताबिक जिस जगह पर केबल टूटा था, उस जगह पर जंग लग गई थी और अगर इसे ठीक कर दिया जाता तो हादसा नहीं होता.
पूरा भाषण चुनावी लगा, लगता है राष्ट्रपति के जरिए चुनाव कैंपेन चला रही है BJP: शशि थरूर
Advertisement