गांधीनगर: मोरबी पुल हादसे की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है. एसआईटी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, पुल की एक केबल का आधा हिस्सा जंग खा चुका था और आशंका जताई जा रही है कि हादसे से पहले ही 22 केबल टूट चुके थे. गौरतलब है कि मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हुई थी.
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एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुल के केबल बनाने के लिए सात जगहों पर कुल 49 तारों को एक साथ जोड़ा गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, इन 49 में से 22 तारों में जंग लग गई थी, जिससे 30 अक्टूबर को आपदा से पहले ये सभी टूट गए होंगे. एसआईटी ने कहा कि बाकी 27 केबल लोगों के भार के कारण टूट गए, जिससे पुल नदी में गिर गया. एसआईटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पुल की मरम्मत के दौरान केबल को डेक से जोड़ने वाले पुराने सस्पेंडर्स को नए सस्पेंडर्स से वेल्ड किया गया था. एसआईटी ने कहा कि इस वजह से ये सस्पेंडर्स भी कमजोर हो गए थे.
मोरबी पुल गिरने से 135 लोगों की मौत
30 अक्टूबर 2022 को मोरबी में एक झुलता पुल गिरने से 135 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस त्रासदी ने 1979 में मच्छू बांध आपदा की याद दिला दी थी. पूल की मरम्मत का ठेका घड़ी बनाने वाली एक कंपनी को दिया गया था, जिसकी लापरवाही से कई लोगों की जान चली गई थी. यह त्रासदी उस समय हुई जब गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस त्रासदी पर दुख व्यक्त किया और तुरंत मोरबी पहुंचकर मरीजों से मिले और मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा की. छठ पूजा के दिन पुल पर भारी भीड़ जमा होने के कारण तार टूट गया और पुल नदी में गिर गया था. हादसे के वक्त पुल पर करीब 500 लोग मौजूद थे.
ओरेवा ने दूसरी कंपनी को दिया मरम्मत का ठेका
पुलिस जांच में सामने आया कि ओरेवा कंपनी ने पुल की मरम्मत खुद नहीं की बल्कि ध्रांगध्रा स्थित देवप्रकाश सॉल्यूशंस को इसे करने की जिम्मेदारी सौंप दी थी. ओरेवा की तरह, देवप्रकाश सॉल्यूशंस के पास भी पुल की मरम्मत के लिए तकनीकी जानकारी का अभाव था और उसने केवल इसे पेंट करके अपना काम पूरा मान लिया था. देवप्रकाश सॉल्यूशंस के दस्तावेज से पता चलता है कि मरम्मत पर सिर्फ 12 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. जबकि इसके लिए कंपनी को 2 करोड़ रुपया मिला था.
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