दिल्ली: मणिपुर सरकार ने 4 सितंबर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. अब एडिटर्स गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. गिल्ड ने अपने सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट आज ही मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है.
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बता दें कि राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों पर राज्य में हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है. आपको बता दें कि हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ने मणिपुर सरकार पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया था.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि था मैंने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को चेतावनी दी है कि अगर वे कुछ करना चाहते हैं तो पहले हिंसा वाली जगहों पर जाएं और ठोस हकीकत देखें. सभी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करने के बाद ही रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए. केवल कुछ वर्ग के लोगों से मिलकर किसी नतीजे पर पहुंचना निंदनीय है. राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, इन पर राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश का आरोप लगाया गया है.
पीसीआई ने एफआईआर वापस लेने की मांग
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सोमवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के तीन सदस्यों और उसके प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की आलोचना की थी. पीसीआई ने कहा कि यह राज्य में शांति बहाल करने के लिए कदम उठाने के बजाय दूत को गोली मारने का मामला है. पीसीआई ने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर तुरंत वापस ली जानी चाहिए.
क्या है विवाद?
आपको बता दें कि हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर एकतरफा मीडिया रिपोर्टिंग हुई है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर पक्षपात का भी आरोप लगाया था. एडिटर्स गिल्ड के जिन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्यों में सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर के नाम शामिल हैं. सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर ने पिछले सप्ताह मणिपुर का दौरा किया था और यहां की मीडिया रिपोर्टिंग का अध्ययन किया था.
मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की रिपोर्ट को फर्जी और प्रायोजित बताया है. एफआईआर में कहा गया है कि रिपोर्ट में गलत तथ्य दिखाए गए हैं. जुलाई में भी मणिपुर सरकार ने तीन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इन महिलाओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी राज्य में चल रही हिंसा को सरकार प्रायोजित बताया था.
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