पूर्वी राज्य मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. दोनों पक्षों के बीच हुई गोलीबारी और झड़प से मामला एक बार फिर गरमा गया है. राज्य के कांगपोपकी जिले में मंगलवार तड़के भीड़ उस वक्त भड़क उठी जब कुकी जाति के तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. तीन लोगों की हत्या के बाद एक बार फिर तनाव का माहौल पैदा हो गया है. सुरक्षा की दृष्टि से राज्य में बड़ी संख्या में केंद्रीय बल की टुकड़ियां तैनात की गई हैं. अधिकारियों ने बताया कि हमलावर एक वाहन में आये थे. फिर इंफाल पश्चिम और कांगपोपकी जिले के सीमावर्ती इलाके में स्थित एरेंग में रहने वाले लोगों पर भी हमला किया था.
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नाकेबंदी कर जांच शुरू कर दी गयी
यह क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, घटना की सूचना मिलते ही असम राइफल्स और राज्य पुलिस मौके पर पहुंची, उसके बाद फायरिंग बंद हो गई. घटनास्थल पर सुरक्षाकर्मियों के पहुंचते ही गोलीबारी करने वाले लोग मौके से फरार हो गए, फिलहाल कुछ संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है. आसपास के इलाकों की घेराबंदी कर दी गई है. तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है. आदिवासी समूह से जुड़ी एक समिति ने कहा कि मारे गए तीन लोग कुकी समुदाय के हैं. 3 मई के बाद से कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच लगातार संघर्ष हो रहा है. राज्य सरकार की ओर से हालात पर काबू पाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन अब भी मणिपुर के जिलों में छोटे पैमाने पर हिंसा हो रही है.
अब हमलावर पुलिस और फोर्स की ड्रेस का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे कई निर्दोष लोग भी इनका आसानी से शिकार बन जाते हैं. सूत्रों से ये भी जानकारी मिली है कि इस तरह से ड्रेस बदलकर हमले की योजना बनाई जा रही है. इससे पहले 8 सितंबर को हमलावरों ने दो लोगों की हत्या कर दी थी. जिसमें अन्य स्थानीय लोग भी घायल हो गये थे. दोनों जातियों के बीच विवाद अभी भी कम नहीं हुआ है.
अब तक 160 से ज्यादा मौतें
आरक्षण को लेकर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच 3 मई को भड़की हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 6 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. राहत के लिए बनाए गए राहत शिविर में 50 हजार से ज्यादा लोगों को आश्रय मिल रहा है. इस हिंसा के दौरान 5 हजार से ज्यादा आगजनी की घटनाएं हुई हैं. छह हजार से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं और 144 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. फिलहाल मणिपुर में 36,000 सुरक्षाकर्मी और 40 अधिकारी तैनात किये गये हैं.
मणिपुर की लगभग 53% आबादी मैतेई है और ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहती है, जबकि 40% आदिवासी हैं, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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