पश्चिम बंगाल में स्थित शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया है. महान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक शताब्दी पहले इसी आश्रम में विश्व भारती की स्थापना की थी. यूनेस्को ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इसकी घोषणा की है. इस ऐलान के बाद टीएमसी और भाजपा इसका श्रेय लेने के होड़ में लगई हैं.
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भारत लंबे समय से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रहा था. शांतिनिकेतन को इस सूची में शामिल करने का निर्णय सऊदी अरब में विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया है.
कुछ महीने पहले, स्मारक और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने सिफारिश की थी कि शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया जाए. ECOMOS फ़्रांस में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है. संगठन में पेशेवरों, विशेषज्ञों, स्थानीय अधिकारियों, कंपनियों और विरासत संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं और यह दुनिया के वास्तुशिल्प और विरासत स्थलों के संरक्षण और प्रचार के लिए काम करता है.
श्रेय लेने की होड़
शांतिनिकेतन को UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि UNESCO ने मुख्य रूप से इस संरचना को विश्व धरोहर स्थल के रूप में अनुमोदित किया है. यूनेस्को ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर भारत को यह तोहफा दिया है. मैं संस्कृति मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री और UNESCO को धन्यवाद देना चाहता हूं.
उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लगातार 12 सालों से शांतिनिकेतन के बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है और दुनिया अब इस धरोहर स्थल की महिमा को पहचानती है. उन सभी को बधाई जो बंगाल, टैगोर और उनके भाईचारे के संदेशों से प्यार करते हैं.
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