देश के पूर्वी राज्य मणिपुर में पिछले तीन महीने से हिंसा हो रही है और इस मुद्दे पर संसद में भी विपक्ष हंगामा कर रहा है और लगातार केंद्र और मोदी सरकार से जवाब मांग रहा है. इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि बंगाल विधानसभा में सोमवार को मणिपुर हिंसा को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया गया. भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया है कि उनको सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया.
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प्रस्ताव पेश होने के बाद बीजेपी विधायक को बोलने की इजाजत दी गई
यह प्रस्ताव पेश होने के बाद बीजेपी विधायक को बोलने की इजाजत दी गई. बीजेपी विधायक शंकर घोष ने कहा कि पहले दो घंटे का समय दिया गया था जिसे सदन की सहमति से घटाकर एक घंटा कर दिया गया. वहीं बीजेपी के हिरण्मय चट्टोपाध्याय ने कहा कि टुकड़े-टुकड़े गैंग और I.N.D.I.A एक समान है. अगर मणिपुर की चर्चा हो रही है तो राजस्थान की चर्चा क्यों नहीं हो रही? आपको अपने राज्य की हालत नहीं दिखाई दे रही. ममता बनर्जी को मणिपुर, यूपी, महाराष्ट्र, असम तो दिखता है लेकिन बंगाल की हिंसा नहीं दिखती है.
किसी भी राज्य को चर्चा करने का अधिकार नहीं: शुभेंदु अधिकारी
बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘मणिपुर दूसरा राज्य और विधानसभा का मामला है. कोई समस्या होने पर उस पर संसद में बहस हो सकती है, लेकिन किसी भी राज्य को उस पर बहस करने का अधिकार नहीं है. मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सुनवाई चल रही है. आपने राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा किया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मैंने सदन के अंदर भी कड़ा विरोध किया और बाहर भी प्रदर्शन करूंगा. टीएमसी ने गैरकानूनी काम किया है. हमारा वोट देने का अधिकार छीन लिया गया है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में मणिपुर मुद्दे पर प्रस्ताव पेश होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपनी बात रखी. सीएम ममता ने कहा कि विपक्ष बकवास कर रहा है. बीजेपी को कोई कुछ नहीं कह सकता. मीडिया की स्वतंत्रता से समझौता किया जा रहा है और भारत जल रहा है. भाजपा बेटी जलाओ और बेटी हटाओ कर रही है. मुझे बीजेपी से ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है.
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