दिल्ली: G-20 शिखर सम्मेलन के लिए राजधानी दिल्ली को सजा दिया गया है और दिल्ली पूरी तरह से मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार है. इस विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से शिखर सम्मेलन को लेकर बातचीत करते हुए कहा कि सभी राष्ट्राध्यक्ष सुचारू रूप से आएंगे और किसी को किसी के लिए इंतजार नहीं करना होगा. हम भारत हैं, हमें पता है कि विश्व को कैसे संभालना है और पिछले 10 सालों में हमने यह दिखाया है कि हम कैसे विश्व को संभाल सकते हैं.
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हमारे लिए बहुत ही केंद्रित समय
दिल्ली में आगामी जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि सब कुछ तैयार हो रहा है. वार्ताकार बातचीत कर रहे हैं, और जो लोग व्यवस्थाएं ठीक कराने का प्रयास कर रहे हैं वे इस पर काम कर रहे हैं. यह वास्तव में हमारे लिए बहुत ही केंद्रित समय है. मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को यह पता चले कि क्या हो रहा है और अभी जी20 के बारे में मेरा मानना है कि इसमें बहुत सारे मुद्दे हैं. कुछ दीर्घकालिक संरचनात्मक मुद्दे हैं, और कुछ अधिक उभरने वाले हैं. ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर दुनिया गौर कर रही है और इसका बोझ ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों पर है. हमारे लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित करना है. लेकिन इसका एक बड़ा संदर्भ भी है. संदर्भ बहुत अशांत वैश्विक वातावरण, कोविड का प्रभाव, यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव, ऋण जैसे मुद्दे जो कुछ समय से चल रहे हैं और जलवायु व्यवधान जो आज अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहे हैं, उसका है.
अन्य देश को भारत से काफी है अपेक्षा
इसके अलावा उन्होंने कहा कि पहले भी G-20 शिखर सम्मेलन की बैठकें हुई हैं लेकिन किसी भी अन्य G-20 प्रेसीडेंसी ने उन विकासशील देशों के साथ बात करने की कोशिश नहीं की जो टेबल पर नहीं हैं और कहा हो कि हमारे साथ आकर बैठें और अपनी समस्या बताएं जिसे हम G-20 देशों के सामने रखेंगे. ऐसा किसी अन्य देश ने नहीं किया है. अगर 125 देशों से परामर्श लिया है और उन्हें लगता है कि जो हमने भारत को समस्या बताई हैं, तो उनको भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं… G-20 देश जो भारत आ रहे हैं वह समझेंगे कि भारत के ऊपर किस तरह की ज़िम्मेदारियां हैं और समझेंगे कि अन्य 180 देश उनकी तरफ देख रहे हैं.
विपक्ष पर जयशंकर ने किया पलटवार
शिखर सम्मेलन के लिए सरकार द्वारा किए गए इंतजाम की विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचना पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि वे लुटियंस दिल्ली या विज्ञान भवन में अधिक सुविधाजनक महसूस कर रहे थे तो यह उनका विशेषाधिकार था. वही उनकी दुनिया थी और तब शिखर सम्मेलन की बैठकें ऐसे समय हुई जहां देश का प्रभाव संभवतः विज्ञान भवन में या उसके 2 किलोमीटर (लुटियंस दिल्ली) तक में रहा हो, यह एक अलग युग है, यह अलग सरकार है और यह एक अलग विचार प्रक्रिया है. प्रधानमंत्री ने महसूस किया और हमने उस दिशा में काम किया है, जिसमें G-20 ऐसी चीज है जिसे एक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में माना जाना चाहिए. जिन लोगों को लगता है कि हमें अभी भी 1983 में फंसे रहना चाहिए उनका 1983 में फंसे रहने का स्वागत है.
राष्ट्रपति भवन से G20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज का निमंत्रण ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम से भेजे जाने के फैसले पर और इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि ‘इंडिया दैट इज भारत’ और यह संविधान में है. मैं हर किसी को इसे (संविधान) पढ़ने के लिए कहूंगा. जब आप भारत कहते हैं, तो एक अर्थ, एक समझ और एक अनुमान आता है और मुझे लगता है कि यही हमारे संविधान में भी परिलक्षित है.
इन मुद्दों पर होगी अमेरिकी राष्ट्रपति से द्विपक्षीय स्तर पर वार्ता
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय स्तर पर क्या चर्चा होगी और एजेंडे में क्या हो सकता हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की राजकीय यात्रा बहुत मजबूत रही है, नतीजों और परिणामों की दृष्टि से मजबूत रही है. दोनों प्रणालियाँ, भारतीय प्रणाली और अमेरिकी प्रणाली काम करने में व्यस्त हैं और इस साल जून में जिन बातों पर सहमति बनी थी उनमें से कई को लागू करने की कोशिश कर रही हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि इससे नेताओं को जायजा लेने का अवसर मिलेगा.
रूस के विदेश मंत्री ने कहा है कि वे चाहते हैं कि यूक्रेन संकट पर उनके विचार को G20 के भाषण में शामिल किया जाए, इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि आप इसे ऐसे चित्रित कर सकती हैं लेकिन मेरे लिए कोई भी अपनी राष्ट्रीय स्थिति को सामने रखने की कोशिश करेगा. यदि आप चाहें तो अपनी बातचीत की स्थिति को अधिकतम करने की कोशिश करेंगे. मुझे लगता है कि आपको इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि बातचीत में वास्तव में क्या होता है और इसे पहले से ही इस आधार पर नहीं आंकना चाहिए कि एक अवसर पर क्या कहा जा सकता है और एक अवसर पर जो कहा गया था उसकी मीडिया व्याख्या क्या हो सकती है.
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