महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को 1 अप्रैल को एक और झटका लगने वाला है और अब लोगों को जरूरी दवाओं पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है. 1 अप्रैल से दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स समेत कई जरूरी दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं. सरकार वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव के अनुरूप दवा कंपनियों को वृद्धि की अनुमति देने के लिए तैयार है.
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यह महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि दवा मूल्य नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने सोमवार को कहा कि सरकार के प्रस्तावित थोक मूल्य सूचकांक में सालाना बदलाव से कीमतों में 12.12 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. 2022 के आधार पर 12.12% तक बढ़ाया जा सकता है. आपको बता दें कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए दवा कंपनियां दवाओं के दाम बढ़ाने की मांग कर रही हैं.
900 दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं
दर्द निवारक, संक्रमण रोधी, एंटीबायोटिक्स और हृदय संबंधी दवाओं समेत करीब 900 दवाओं की कीमतों में 12 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है. यह लगातार दूसरा वर्ष है जब गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में अनुमेय वृद्धि से अधिक वृद्धि हुई है. निर्धारित दवाओं की कीमतों को विनियमित किया जाता है. जबकि बाकी दवाएं गैर-अनुसूचित दवाओं की श्रेणी में आती हैं और इनके दाम 10 फीसदी तक बढ़ सकते हैं.
इस आधार पर दाम बढ़ाए जाते हैं
दवा मूल्य नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी को पिछले कैलेंडर वर्ष के वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक के अनुसार हर साल 1 अप्रैल को या उससे पहले तय किए गए फॉर्मूलेशन के अधिकतम मूल्य को संशोधित करने की अनुमति है. ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 की धारा 16 में इस संबंध में नियम है. इसी आधार पर एनपीपीए हर साल दवाओं की कीमतों में संशोधन करती है और नई कीमतें एक अप्रैल से लागू हो जाती हैं.
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