नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शराब नीति को लेकर जमानत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सिसोदिया की याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की. उसके बाद कोर्ट ने आबकारी घोटाला केस में दखल देने से इनकार कर दिया और कहा कि आप हाईकोर्ट में जाइए.
Advertisement
Advertisement
CJI ने कहा कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत और अन्य राहत मांग रहे हैं. आपने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के मामले का हवाला दे रहे है जोकि पूरी तरह से अलग था. आपको निचली अदालत से जमानत लेनी चाहिए, शिकायत को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय जाएं.
डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट इसे नहीं सुन सकता
मनीष सिसोदिया की ओर से पेश अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि मुझे सिर्फ 3 मिनट बोलने दीजिए. सिसोदिया को सिर्फ 2 बार पूछताछ के लिए बुलाया गया. गिरफ्तारी से पहले अरणेश कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया गया. न ही मुझ पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप है, न ही मेरा इरादा भागने का था. सिंघवी की दलीलों को सुनने के बाद CJI ने कहा कि यह सच हो सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट सीधे इस पर सुनवाई नहीं कर सकता है.
हाईकोर्ट जाइए, हम नहीं करेंगे सुनवाई- सीजेआई
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि यह घटना दिल्ली की है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट में आ जाएं. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों का रक्षक है. सीजेआई ने पूछा कि मामला किस धारा के तहत है, सिंघवी ने कहा कि यह भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत है. उसके बाद CJI ने कहा कि आप जो कुछ कह रहे हैं, वह हाईकोर्ट को बताएं. हम सुनवाई नहीं करेंगे.
क्या फिर से तपस्या करेंगे राहुल गांधी? कांग्रेस अब अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक करेगी पदयात्रा
Advertisement