लखनऊ: सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के खिलाफ विवादित बयान देने के बाद चौतरफा आलोचना शिकार हो रहे हैं. इस बीच उन्होंने एक बार फिर इसके धार्मिक ग्रंथ होने पर सवाल खड़ा कर दिया है. मौर्य ने कहा कि गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता. अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता. जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं. किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा.
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मौर्य के बयान को लेकर जहां भाजपा और साधु-संत नाराजगी जता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भगवान राम और रामचरितमानस के खिलाफ कोई नहीं है. कल मैं मंदिर गया तो RSS-BJP के गुंडे आ गए, हमें पता होता BJP गुंडे भेजने वाली है तो हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ आते, काला झंडा जब समाजवादी दिखाते हैं तो उन्हें 1 साल के लिए जेल भेजा जाता है.
भाजपा ने किया पलटवार
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर उत्तर प्रदेश मंत्री धर्मपाल सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि सपा के कार्यकाल में माताओं-बहनों की इज़्ज़त आबरू कभी सुरक्षित नहीं रही, अब स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे बयान देकर कौनसी दुहाई देना चाहते हैं? रामचरितमानस महाकाव्य है उसपर टिपण्णी करना उनकी छोटी मानसिकता को दर्शाता है.
वहीं इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सपा तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है. आज हम गेहूं, दूध, चीनी के उत्पादन में देश में नंबर 1 हैं. भाजपा परिवर्तन के लिए काम कर रही है. सपा जब-जब सत्ता में रही है गुंडे, माफिया, मवालियों को संरक्षण मिला है. स्वामी प्रसाद मौर्य के पास अब कहने को कुछ बचा नहीं है. सब निराश लोग हैं, जनता ने बुरी तरह इन्हें नकार दिया है, ये बस समाज को बांट कर सुर्खियों में आना चाहते हैं.
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