गांधीनगर: गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पुल गिरने से हुए हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 141 हो गई है. इस त्रासदी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पुल की क्षमता मात्र 100 लोगों की थी तो आखिर इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे पहुंचे. मोरबी में हाल ही में पुनर्निर्मित 140 साल पुराने झूलते ब्रिज के गिरने से मृतकों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. सेना और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव कार्य में लगी हुई हैं. पुल की मरम्मत के बाद इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था. महज पांच दिनों के बाद पुल के ढहने से सवाल उठता है कि क्या पुल की मरम्मत में ही भ्रष्टाचार हुआ था.
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हादसे को लेकर उठ रहे हैं यह 5 बड़े सवाल
मोरबी में मच्छू नदी पर बना झूलता पुल गिरने पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों ने थोड़ी संवेदनशीलता दिखाई होती तो इतना बड़ा हादसा टाला जा सकता था. जब पुल की क्षमता इतनी नहीं थी कि उस पर एक साथ इतने लोग कैसे पहुंच गए? किसकी अनुमति से इतने लोग एक साथ पहुंचे गए थे.
- 1. मोरबी पुल दुर्घटना के लिए कौन जिम्मेदार है?
- 2. बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के कैसे खुल गया ब्रिज?
- 3. किसकी अनुमति से पुल खोला गया?
- 4. क्षमता से अधिक लोग पुल पर कैसे पहुंचे?
- 5. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्या इंतजाम थे या नहीं?
डॉक्टरों के लिए चुनौती
डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती मोरबी में मच्छू नदी में पुल गिरने से हुए हादसे के बाद हालात को कैंसे संभाला जाए. बड़ी संख्या में शवों के साथ-साथ अस्पतालों में घायलों की संख्या के कारण मेडिकल टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी. हादसे में घायलों का पता लगाना परिजनों के साथ-साथ उन लोगों के लिए भी मुश्किल काम था, जिनके रिश्तेदार लापता हो गए थे. सरकारी अस्पताल में दिल दहला देने वाली तस्वीर देखने को मिल रही है. मोरबी और राजकोट के अस्पताल शवों का ढेर लगा हुआ है.
मैं यहां एकता नगर में हूं लेकिन मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा हुआ है: पीएम मोदी
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