देहरादून: उत्तराखंड के हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 50 हजार लोगों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें रेलवे को सात दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन के अंदर अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस घटना को मानवीय नजरिए से देखा जाना चाहिए. जस्टिस कौल ने कहा कि इस मामले में समाधान की जरूरत है.
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हल्द्वानी अतिक्रमण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, ‘हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस दे रहे हैं. हम हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा रहे हैं.”
सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने पूछा कि उत्तराखंड सरकार का वकील कौन है? कितनी जमीन रेलवे की, कितनी राज्य की? क्या वहां रहने वाले लोगों का कोई दावा लंबित है? न्यायाधीश ने आगे कहा, “वह दावा करता है कि वह वर्षों से वहां रह रहे हैं. यह सही है कि जगह का विकास किया जाना है. लेकिन 60 साल से रह रहे लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था भी की जानी चाहिए.
क्या था हाईकोर्ट का आदेश?
पिछले साल 20 दिसंबर को नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रेलवे को आदेश दिया था कि जमीन खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय देने के बाद गलत कब्जाधारियों को बेदखल करने के लिए किसी भी हद तक बल प्रयोग किया जाए.
रेलवे की जमीन पर 4 हजार परिवार निवास कर रहे हैं
हल्द्वानी में विवादित जमीन पर चार हजार परिवार रहते हैं. रेलवे का कहना है कि उनके पास पुराने नक्शे और राजस्व रिकॉर्ड हैं, जो जमीन पर उनके दावे को साबित करते हैं. हालांकि, विरोध करने वालों का दावा है कि वह यहां कई पीढ़ियों से रहते आ रहे हैं.
यह क्षेत्र 2.2 किमी में फैला हुआ है
विवादित क्षेत्र उत्तराखंड के हल्द्वानी में 2.2 किमी में फैला हुआ है. इस क्षेत्र में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर बसे हुए हैं. ये तीनों इलाके हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके का हिस्सा हैं. इसमें तीन सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, 10 मस्जिद, 12 मदरसे, एक सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र और एक मंदिर भी है.
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