देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन से लोगों को बचाया जा रहा है. गढ़वाल के अन्य जिलों में भी जमीन धंसने और इमारतों में दरारें आने की तस्वीरों ने राज्य के लोगों को डरा दिया है. एक तरफ जोशीमठ की हालत दयनीय है, वहीं दूसरी तरफ गढ़वाल में 25-30 गांव ऐसे हैं जहां भूस्खलन हो रहा है.
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टिहरी जिले के नरेंद्रनगर के अटाली गांव में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन बनने से अटाली गांव के कुछ परिवारों के कृषि भूमि के साथ घरों में भी दरारें आ गई हैं. अटाली गांव की कृषि भूमि में 2 से 3 दिन से डेढ़ फीट तक की दरार पड़ गई है, जिससे गांव के कुछ घर खतरे में आ गए हैं. गांव में दरार देख अटाली गांव के प्रभावित परिवारों में रेल विभाग के खिलाफ आक्रोश दिखाई दे रहा है. प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्होंने रेलवे निर्माण कार्य का विरोध नहीं किया लेकिन अब उसकी वजह से गांव की कृषि भूमि और मकानों में दरार आ रही है.
पीड़ित परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारी यहां स्थिति देखने आते हैं लेकिन आश्वासन देकर चले जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी जमीन अटाली गांव में है. अब इस स्थिति में वह अपनी जमीन और मकान कैसे छोड़ सकते हैं. पीड़ित परिवारों का यह भी कहना है कि रेलवे को उन्हें जमीन का मुआवजा देना चाहिए और उन्हें दूसरी जगह बसाना चाहिए.
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना के मुताबिक हमने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कुछ वार्ड की पहचान कर उस पर निशान लगाया है और उनको रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया है. इन वार्ड में प्रवेश भी निषेध रहेगा.
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