बिहार के शिक्षा मंत्री के विवादित बयान का एक वीडियो सामने आया है. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने ‘रामचरितमानस’ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ करार दिया है. उन्होंने पटना में नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था. उनके बयान को लेकर जहां भाजपा हमलावर है वहीं अब पार्टी में ही मतभेद शुरू हो गया है.
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रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर RJD नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि मैं इस तरह से इत्तेफाक रखता हूं कि इसमें(रामायण) हीरा-मोती भी है और कूड़ा कचरा भी है…अगर इस तरह की बात करेंगे कि रामायण सिर्फ घृणा फैलाता है तो मैं व्यक्तिगत रूप से उस राय के साथ नहीं हूं. तिवारी के मुताबिक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी राम को मानते थे. जब उनकी हत्या हुई तो उनके मुंह से निकले आखिरी शब्द ‘हे राम’ था. इसके अलावा तिवारी ने कहा कि समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया भी राम को ‘महापुरुष’ मानते थे.
आरजेडी के प्रदेश प्रमुख जगदानंद सिंह जहां चंद्रशेखर सिंह के बयान का समर्थन करते दिखे वहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सार्वजनिक रूप से अपनी असहमति जाहिर की है. उसके बाद रामचरितमानस पर अपने दिए बयान पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि आप मुझे एक वीडियो दिखा दीजिए कि मैंने रामचरितमानस का विरोध किया है. मैंने केवल रामचरितमानस के कुछ छंद का विरोध किया है.
वहीं उनके इस बयान पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने पलटवार करते हुए कहा कि जिसकी रही भावना जैसी प्रभू मूरत दिखी तिन तैसी… भारत और भारत के विचारों में भगवान श्री राम का और श्री कृष्ण का DNA है. रामायण के प्रथम रचयिता महर्षि वाल्मीकि रहे हैं, यह उनका अपमान है, सनातन धर्म का अपमान है और करोड़ों हिंदूओं का अपमान है.
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