सूरत: गुजरात के सूरत को डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता है. सूरत का हीरा कारोबार पांच लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है लेकिन अब यह उद्योग वैश्विक मंदी और रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों से दोहरी मार झेल रहा है. ऐसा अनुमान है कि नवंबर से अब तक सूरत में हीरा पॉलिशिंग इकाई से 5,000 से अधिक श्रमिकों को निकाल दिया गया है.
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सूरत रत्न कलाकार संघ के अध्यक्ष रणमल जिलिरिया के मुताबिक हमें पता चला है कि दीवाली के बाद 24 छोटे और मझोले कारखाने खुले ही नहीं हैं. छंटनी की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. कुछ इकाइयां काम के घंटे भी कम कर रही हैं.
दुनिया के 90 फीसदी हीरे सूरत में तराशे जाते हैं
सूरत में लगभग 4000 कारखाने निर्यातकों सहित बड़ी कंपनियों से कच्चे हीरे की खरीद करते हैं. वहां उन्हें गहनों के हिसाब से काटा और पॉलिश किया जाता है. इन फैक्ट्रियों में 5 लाख से ज्यादा मजदूर काम करते हैं. मजदूरों में ज्यादातर सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के अलावा प्रवासी मजदूर हैं. दुनिया के 90% हीरे सूरत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं. इन हीरों को गहनों में सेट किया जाता है या अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खुदरा बेचा जाता है.
फैक्ट्री मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानूभाई वेकारिया बड़े पैमाने पर छंटनी या इकाइयों को बंद करने की बात से इनकार करते हैं. लेकिन वह मानते हैं कि फैक्ट्रियां उत्पादन घटा रही हैं और काम के घंटे कम कर रही हैं. उनके मुताबिक रफ डायमंड की सप्लाई कम होने की वजह से ऐसा हो रहा है.
60 फीसदी कच्चा माल रूस से आता है
सूरत को अपना लगभग 60 प्रतिशत कच्चा माल रूसी सरकार की स्वामित्व वाली खनन कंपनी अलरोसा से प्राप्त होता है. कंपनी हीरों की वैश्विक आपूर्ति का एक चौथाई आपूर्ति करती है. यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों ने अलरोसा पर प्रतिबंध लगा दिया है.
डायमंड एसोसिएशन के सचिव दामजी मावानी कहते हैं, ‘हमें किसी तरह अलरोसा से कच्चा हीरा मिल रहा है. लेकिन कंपनी की हिस्सेदारी अब घटकर 25-30 फीसदी रह गई है. प्रतिबंधों ने आपूर्ति बाधित की है और कच्चे माल की लागत में वृद्धि की है.” अलरोसा के अलावा सूरत की फैक्ट्रियां दक्षिण अफ्रीका और कनाडा जैसे देशों से कच्चा हीरा मंगवाती हैं.
आयात में गिरावट
रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के आंकड़ों से पता चला है कि देश का कच्चा हीरा आयात अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान 853.95 लाख कैरेट रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1,122.32 लाख कैरेट था. आंकड़ों से पता चला कि आयात में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है.
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