नई दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया. बजट सत्र आज से शुरू हो गया है और 2023-24 का बजट कल संसद में पेश किया जाएगा. इसके साथ ही देश की भविष्य की आर्थिक दिशा और दशा क्या होगी, उसका खाका कल देश के सामने होगा. हालांकि, आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में विकास दर 7 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है.
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आर्थिक सर्वेक्षण में क्या है खास?
आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2022-23 में आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पिछले साल, जब 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई थी, 2022-23 में, भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 से 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट के कारण आर्थिक विकास दर पिछले साल व्यक्त किए गए अनुमानों से कम हो सकती है.
आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोरोना संकट के दौरान हुए नुकसान की भरपाई कर दी गई है और कोरोना के कारण कृषि पर न्यूनतम प्रभाव देखा गया है. मुद्रास्फीति की उच्च दर ने निजी निवेश को बाधित किया है. हालांकि दो साल कोरोना के कारण मुश्किल भरे रहे और कोरोना के साथ महंगाई का असर नीतियों पर भी पड़ा है. आपूर्ति श्रृंखला ने मुद्रास्फीति के संकट को बढ़ा दिया है और सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ा दिया है. कोरोना का सबसे ज्यादा असर सर्विस सेक्टर पर देखने को मिला है.
आर्थिक सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि एक बार रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण महामारी के झटकों और वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद आने वाले दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से बढ़ेगी. सर्वे के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक कोरोना से पहले के मुकाबले बेहतर है और आने वाले सालों में अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ेगी.
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