अमेरिकी विदेश विभाग ने 20 मार्च को मानवाधिकारों के मुद्दों पर अपनी वार्षिक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में एनसीआरबी के आंकड़े जारी करते हुए महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों और भारत में हो रहे हनन की बात की है. अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2022 में भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की कई घटनाएं प्रकाश में आई हैं, जिनमें हिरासत में हत्याएं, प्रेस की स्वतंत्रता, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली हिंसा शामिल हैं.
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रिपोर्ट अमेरिकी संसद के लिए तैयार की गई
अमेरिकी विदेश मंत्री एंथोनी ब्लिंकेन के विभाग ने एक वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट जारी की है जो अमेरिकी संसद को दुनिया भर में चल रही मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में सूचित करती है. वार्षिक रिपोर्ट में ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमार जैसे अन्य देशों के साथ रूस और चीन में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना की गई है.
सरकार में जवाबदेही का अभाव
रिपोर्ट के एक भाग में भारत वाले हिस्से में दावा किया गया है, सरकार के सभी स्तरों पर आधिकारिक भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही की कमी है जिससे अपराधियों को समय पर सजा मिलती है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कानून को लागू करने में शिथिलता, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की कमी और अत्यधिक बोझ वाली और कम संसाधनों वाली अदालती प्रणाली के परिणामस्वरूप सजा की दर कम हुई है.
भारत ने पहले भी अमेरिकी सरकार की ऐसी रिपोर्टों को खारिज कर चुका है. भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतंत्र की सुस्थापित प्रथाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है. जबकि अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इंटरनेट शटडाउन, शांतिपूर्ण सभा पर प्रतिबंध, देश और विदेश में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का उत्पीड़न भी हुआ है.
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