गांधीनगर: कोरोना महामारी के दौरान माइक्रो लेंडिंग ऐप्स की संख्या में भारी इजाफा हुआ था. इनमें से ज्यादातर ऐप चाइनीज हैं और अब ये ऐप लोगों की प्राइवेसी और डेटा से समझौता कर रहे हैं. माइक्रो लोन देने के नाम पर सभी मोबाइल एप्लिकेशन और डेटा एक्सेस लेने के बाद अब उस डेटा का दुरुपयोग हो रहा है. उसके खिलाफ गुजरात साइबर पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है.
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पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर मार्च 2022 से अब तक 932 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं. चाइनीज और नेपाली ऐप्स से लोगों के डेटा से खिलवाड़ किया जा रहा है. इसके लिए 419 ऐप्स को गुजरात साइबर क्राइम ने प्रतिबंधित घोषित कर दिया है. इसके अलावा पुलिस ने ऐसे 885 मोबाइल एप्लिकेशन की पहचान भी कर ली है. बाकी बचे चीनी ऐप्स के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो सकती है. पुलिस ने कहा कि ऐप हांगकांग और चीन के अन्य शहरों में सर्वर पर होस्ट किए जा रहे हैं.
गुजरात सीआईडी क्राइम शाखा के निरीक्षक ने कहा कि साइबर ठग लोगों को संदेश भेजकर कहते हैं कि अगर वे माइक्रो लोन लेना चाहते हैं तो मोबाइल ऐप डाउनलोड करें. इस लोन को स्वीकृत करने के लिए मोबाइल उपयोगकर्ताओं को अपने संपर्कों, छवियों, वीडियो और अन्य सभी डिजिटल सामग्री तक पहुंचने के लिए सहमति देनी होगी. साइबर ठग मोबाइल यूजर्स के फोटो और मैसेज के जरिए स्कैन करते हैं. जब वे आश्वस्त हो जाते हैं कि व्यक्तिगत डेटा का उपयोग पैसे निकालने के लिए किया जा सकता है तो वे ऋण आवेदन के साथ आगे बढ़ते हैं.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर कर्ज की राशि 15 हजार रुपये से शुरू होती है और यह राशि 15 से 20 फीसदी ब्याज पर दी जाती है. जब ग्राहक समय पर रकम लौटा नहीं पाता तो उसके ऊपर कर्ज को बढ़ाकर 30 हजार कर दिया जाता है. इतना ही नहीं उसके बाद पठानी वसूली शुरू की जाती है. एप्लिकेशन होस्ट तब फोटो या वीडियो को मॉर्फ कर उपयोगकर्ता की संपर्क सूची में डालने की धमकी देता है.
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