राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पतालों और डॉक्टरों की हड़ताल आज 13वें दिन में प्रवेश हो गया. जिसकी वजह से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है. डॉक्टरों का कहना है जब तक गहलोत सरकार बिल वापस नहीं लेगी तब तक हम अपनी हड़ताल खत्म नहीं करेंगे. वहीं अब इस तरह की चेतावनी देने वाले डॉक्टरों की परेशानी बढ़ने वाली है. राजस्थान मानव अधिकार आयोग ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
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लेकिन इस सबके बीच सबसे ज्यादा परेशानी लोगों को हो रही है. इस हड़ताल के चलते राजस्थान में मरीजों की हालत गंभीर हो गई है. कुछ मरीज हड़ताल खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं तो कुछ पड़ोसी राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश में इलाज के लिए जा रहे हैं. निजी डॉक्टर राज्य विधानसभा में पारित राइट टू हेल्थ बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका मानना है कि इस बिल से निजी अस्पतालों में सरकारी अधिकारियों का दखल बढ़ेगा.
बिल को पूरी तरह वापस लेने की मांग को लेकर राज्य के निजी अस्पताल पूरी तरह से बंद हैं. निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर दी हैं. हड़ताल के कारण कुछ मरीज निजी अस्पतालों से सरकारी अस्पतालों में शिफ्ट हो गए हैं तो कुछ मरीज जिन्हें इमरजेंसी नहीं है वे हड़ताल खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. इस हड़ताल की वजह से राजस्थान की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है.
तेज हुई सियासी बयानबाजी
नए स्वास्थ विधेयक को लेकर राजस्थान के स्वास्थ मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि हमने सलेक्ट कमेटी में सभी डॉक्टरों को बुलाकर बात की थी और उनके विचार जाने थे. इन्होंने जितने भी सुझाव दिए थे वह हमने एक्ट में शामिल किए हैं. वह लोग WHO की शपथ, चिकित्सक धर्म को भी भूल गए. हमारी डॉक्टरों से अपील है कि वह अपनी शपथ को याद करें और मरीजों का इलाज करें.
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि दोनों पक्षों को बैठकर बात करनी चाहिए. वार्ता करके जल्द मामले को सुलझाना चाहिए. किसी पक्ष को भी अड़ियल रवैया नहीं रखना चाहिए.
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