आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सामूहिक विवाह योजना उस समय विवादों में आ गई जब कुछ दुल्हनों का गर्भावस्था परीक्षण किया गया. लगभग 219 लड़कियों में से पांच का टेस्ट पॉजिटिव आया और उनकी शादी नहीं कराई गई. मामला सामने आने के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है और इसे गरीब लड़कियों का अपमान करार दिया है.
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कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सवाल किया है कि प्रेग्नेंसी टेस्ट का आदेश किसने दिया? मध्य प्रदेश के डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था. जिन महिलाओं का गर्भावस्था परीक्षण किया गया था उसमें से एक ने कहा कि वह शादी से पहले ही अपने मंगेतर के साथ रहने लगी थी. इसलिए मेरा गर्भावस्था परीक्षण सकारात्मक है. शायद यही वजह है कि फाइनल मैरिज लिस्ट से मेरा नाम हटा दिया गया, हालांकि अधिकारियों ने मुझे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है.
अब यह मामला राजनीतिक बवाल खड़ा कर रहा है. कांग्रेस का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार ने गर्भावस्था परीक्षण कराकर महिलाओं का अपमान किया है.
इस मामले को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा “डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने का समाचार सामने आया है. मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह समाचार सत्य है तो मध्य प्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया? क्या मुख्यमंत्री की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है?
शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पहले ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में देश में अव्वल है. मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराएं और दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दें. यह मामला सिर्फ प्रेगनेंसी टेस्ट का नहीं है, बल्कि समस्त स्त्री जाति के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का भी है.”
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