मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें कोर्ट से राहत मिल सकती थी. कोर्ट के इस फैसले पर पूर्व सीएम के बयान सामने आया है.
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता. मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है. राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला सामने आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उद्धव ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की. उसके बाद ठाकरे ने बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे को चुनौती देते हुए कहा कि अगर इस मुख्यमंत्री(शिंदे) और उपमुख्यमंत्री(देवेंद्र फडणवीस) में जरा भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा देना चाहिए जैसे मैंने इस्तीफा दिया था.
कोर्ट ने ठाकरे को राहत देने से किया इनकार
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है. इसके अलावा गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी.
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