सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म द केरल स्टोरी पर लगे बैन को हटा दिया है. अब यह फिल्म पश्चिम बंगाल में रिलीज होगी. आज सुप्रीम कोर्ट में बंगाल में द केरल स्टोरी पर लगी रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई, चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बंगाल सरकार से कहा कि संयम के साथ सत्ता का प्रयोग किया जाना चाहिए. फिल्म को कुछ जिला विशेष में प्रतिबंधित किया जा सकता है लेकिन पूरे राज्य में नहीं! लोगों की भावनाओं को नियंत्रित करना सरकार का विशेषाधिकार है, फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है.
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मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य शक्ति का प्रयोग आनुपातिक होना चाहिए. किसी भी प्रकार की असहिष्णुता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार किसी की भावनाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित नहीं किया जा सकता है. भावनाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन को नियंत्रित किया जाना चाहिए यदि आप इसे पसंद नहीं करते हैं तो इसे न देखें.
इतना ही नहीं मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के निर्माताओं को फिल्म में एक अतिरिक्त डिस्क्लेमर जोड़ने के लिए कहा कि ऐसा कोई प्रामाणिक डेटा नहीं है कि धर्मान्तरित लोगों की संख्या 32,000 या कोई अन्य आंकड़ा है. यह अस्वीकरण 20 मई शाम 5 बजे तक जोड़ना होगा. अब इस फिल्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी.
हलफनामा में किया था दावा
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार ने ‘शांति बनाए रखने’ और राज्य में ‘नफरत और हिंसा’ की घटनाओं से बचने के लिए फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ फिल्म के निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था कि हमें खुफिया जानकारी थी कि अगर राज्य में फिल्म का प्रदर्शन किया गया तो इससे शांति भंग हो सकती है. राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है. इसलिए, घृणा हिंसा के किसी भी मामले से बचने के लिए राज्य द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है.
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