दिल्ली: आपको जानकर हैरानी होगी कि आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को यह कहते हुए वापस लेने का फैसला किया कि बड़े नोटों की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ साल पहले उसी आरबीआई ने 5000 और 10,000 रुपये के बड़े नोट छापने की सिफारिश की थी. अक्टूबर 2014 में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने केंद्र सरकार को 5,000 और 10,000 रुपए के नोट जारी करने का सुझाव दिया था. इसके पीछे रघुराम राजन का तर्क था कि देश में बढ़ती महंगाई की वजह से 1000 रुपए के नोट की कीमत घट गई है.
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उन्होंने बड़े नोट छापने की सिफारिश की थी ताकि बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाई जा सके. अक्टूबर 2014 में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मोदी सरकार को 5000 और 10,000 रुपये के नोट छापने की सलाह दी थी. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने आरबीआई गवर्नर के इस सुझाव को मानने से इनकार कर दिया था.
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार ने इस सिफारिश को खारिज कर दिया क्योंकि वह जल्द ही एक नई मुद्रा चाहती थी, इसलिए सरकार ने 2000 रुपये के नोट जारी करने का फैसला किया था. उसके बाद साल 2015 में रघुराम राजन ने खुद कहा था कि उच्च मूल्य के नोटों के साथ जालसाजी का खतरा होता है जिससे उन्हें जारी रखना मुश्किल हो जाता है. बड़े नोटों से कालाबाजारी आसान हो जाती है.
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर 2 हजार के नोट को चलन से वापस लेने का ऐलान किया है. यह वही नोट है जिसे वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद आरबीआई ने जारी किया गया था. करीब 8 साल में इसे वापस ले लिया गया है. 2000 के नोट को वापस लेने के फैसले के पीछे आरबीआई ने तर्क दिया है कि बाजार से उच्च मूल्य के नोट वापस लिए जा रहे हैं. आरबीआई के मुताबिक 2 हजार के नोट की जरूरत नहीं है.
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