नई दिल्ली: शुक्रवार देर रात तक चली दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. अविभाजित भारत के प्रसिद्ध कवि और ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ के लेखक मुहम्मद अल्लामा इकबाल को स्नातक राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है. इसके अलावा भी बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं.
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चौथे सेमेस्टर में सावरकर, सातवें में गांधी
इसके अलावा, विनायक दामोदर सावरकर का एक पूरा पेपर पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है. यह चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा. हालांकि पहले सावरकर के बारे में छठे सेमेस्टर में पढ़ाया जाता था, लेकिन उसमें केवल एक अध्याय शामिल था. इसके अलावा सातवें सेमेस्टर में महात्मा गांधी पर एक पेपर रखा गया है. पहले उन्हें चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाता था. दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में लिए गए फैसलों का कई सदस्यों ने विरोध भी किया है.
एलजीबीटी पाठ्यक्रम में भी सुधार
इसके अलावा स्नातक में पढ़ाए जाने वाले एलजीबीटी पाठ्यक्रम में भी सुधार किए गए. एजेंडा के अंत में आठ कॉलेजों में पढ़ाए जाने वाले BLED प्रोग्राम को ITEP से बदलने का प्रस्ताव था. शिक्षक इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. शुक्रवार को डीयू में आईटीईपी के खिलाफ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था.
एबीवीपी ने जताया आभार
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से मोहम्मद अल्लामा इकबाल के पेपर को हटाने के फैसले का स्वागत किया है. एक बयान जारी कर कहा गया है कि मोहम्मद इकबाल को पाकिस्तान के दर्शनशास्त्र का जनक कहा जाता है. मुस्लिम लीग की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. जिन्ना की तरह वह भी भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार हैं.
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